स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग की लेखापरीक्षा रिपोर्टों के अनुसार, हरियाणा के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में 36.78 करोड़ रुपये की राशि के गबन या दुरुपयोग या संभावित दुरुपयोग के मामले बड़ी संख्या में पाए गए हैं।
17 नवंबर को सदन में पेश की गई रिपोर्टों से पता चला है कि 10 नगर निगमों, 18 नगर परिषदों और 52 नगर समितियों में 2018-19 में 26.45 करोड़ रुपये और 2019-20 में 1.15 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले या संभावित हेराफेरी के मामले पाए गए।
वर्ष 2018-19 में झज्जर नगर निगम में वैट अनुदान खाते से वर्ष 2014 से 2019 तक 22.03 करोड़ रुपये का ब्याज सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए झज्जर नगर निगम के सचिव के खाते में स्थानांतरित किया गया। इसके अलावा नगर निगम रोहतक में गृहकर शाखा की 45.14 लाख रुपये की आय समय पर जमा नहीं कराई गई और दो से 16 दिन तक हाथ में रखी गई। इसी तरह पानीपत नगर निगम में वर्ष 2011 से 2019 तक विविध आय से संबंधित 90.70 लाख रुपये कैशबुक में प्राप्त हुए, लेकिन पासबुक में नहीं लिए गए।
2018-19 में, कम वसूली या वसूली नहीं हुई और 22.92 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ जबकि निर्धारित लक्ष्य से 865.66 करोड़ रुपये कम वसूले गए। 2018-19 की रिपोर्ट में कहा गया है, “इससे पता चलता है कि या तो बजट में तय लक्ष्य यथार्थवादी नहीं थे या आय के बजट लक्ष्यों को प्राप्त करने में उचित प्रयासों की कमी थी।” रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह कर वसूली से संबंधित कम्प्यूटरीकृत प्रारूपों पर कई कटिंग या ओवरराइटिंग, जोड़, परिवर्तन आदि थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में कम वसूली या गैर-वसूली हुई और 26.37 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ, जबकि निर्धारित लक्ष्य से 2,179.19 करोड़ रुपये कम वसूले गए।
पीआरआई के मामले में भी स्थिति अलग नहीं थी। 2018-19 में 1,425 ग्राम पंचायतों में 5.45 करोड़ रुपये का गबन या दुरुपयोग पाया गया, जिसमें 4.24 करोड़ रुपये पूर्व सरपंचों द्वारा अपने उत्तराधिकारियों को नहीं सौंपे गए। अन्य मामलों में प्रत्येक महीने के अंत में कैश बुक का समापन शेष या तो गलत तरीके से निकाला गया या अगले महीने के लिए कम आगे बढ़ाया गया और प्राप्त आय का या तो हिसाब नहीं किया गया या कैश बुक में कम हिसाब लगाया गया।
वर्ष 2019-20 में ग्राम पंचायतों में 3.33 करोड़ रुपए के गबन या हेराफेरी का खुलासा हुआ। इसमें 2.83 करोड़ रुपए ऐसे थे जो या तो पूर्व सरपंचों ने नए सरपंचों को प्रभार देते समय नहीं दिए या कम दिए।
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, “सामग्री की ढुलाई पर खर्च किया गया, हालांकि जिन सामग्रियों की खरीद के लिए भुगतान किया गया था, उनका उल्लेख नहीं किया जा सका। जाहिर तौर पर ऐसे भुगतान वास्तविक नहीं थे।”
2019-20 में 126 पंचायत समितियों में 26.93 लाख रुपये और 2018-19 में 14.68 लाख रुपये का गबन पाया गया।
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