हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू), शिमला ने हाल ही में संविधान के दूरदर्शी निर्माताओं को सम्मानित करते हुए और भारत के प्राचीन मूल्यों के साथ इसके गहरे संबंधों की खोज करते हुए संविधान दिवस मनाया।
इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, अन्य गणमान्य व्यक्ति, छात्र और संकाय सदस्य उपस्थित थे। न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने संबोधन में संविधान के दार्शनिक और नैतिक आयामों पर विस्तार से चर्चा की तथा इसकी जड़ें भारत की प्राचीन परंपराओं में खोजीं।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार धर्म, सत्य और अहिंसा जैसे मूल्यों ने संविधान के नैतिक और आचारिक ढांचे को आकार दिया। न्यायमूर्ति ठाकुर ने समकालीन चुनौतियों से निपटने और आधुनिक शासन में कानून का शासन सुनिश्चित करने में इन मूल्यों की प्रासंगिकता के बारे में बात की।
अपने स्वागत भाषण में कुलपति प्रीति सक्सेना ने संविधान दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी बने लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों पर चिंतन करने का अवसर है।
उन्होंने संवैधानिक साक्षरता को बढ़ावा देने तथा संविधान में निहित विचारों और सिद्धांतों के साथ आलोचनात्मक जुड़ाव को प्रोत्साहित करने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर प्रकाश डाला।
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