इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी), शिमला के संविदा कर्मचारियों – सफाई कर्मचारी, वार्ड अटेंडेंट, ईसीजी स्टाफ, मेस कर्मचारी, पैरामेडिकल कर्मी और लॉन्ड्री कर्मचारी – ने सोमवार को सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) के बैनर तले अस्पताल के गेट पर विरोध प्रदर्शन किया और अपने बकाया वेतन के तत्काल भुगतान की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान सीआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने अस्पताल प्रशासन व ठेकेदारों पर कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 150 से अधिक श्रमिकों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि अस्पताल के किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को नवंबर माह का वेतन नहीं दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रमिकों को बिना अतिरिक्त पारिश्रमिक के अतिरिक्त कार्य करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मेहरा ने कहा कि आईजीएमसी कर्मचारियों को अनुचित तरीके से नौकरी से निकाला जा रहा है तथा 150 से अधिक कर्मचारियों को कथित साजिश के तहत नौकरी से निकाला जा रहा है।
मेहरा ने कहा, “न्यूनतम मजदूरी, भविष्य निधि, स्वास्थ्य बीमा, छुट्टियां, आठ घंटे का कार्यदिवस, समय पर वेतन भुगतान, बोनस, चेंजिंग रूम और वर्दी जैसे बुनियादी श्रम अधिकारों पर ध्यान नहीं दिया जाता है।”
यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि 23 दिसंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे और अस्पताल प्रबंधन व ठेकेदारों के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे।
यूनियन ने कहा कि वे राजभवन, सचिवालय, महात्मा गांधी प्रतिमा और उपायुक्त कार्यालय तक रैलियां और मार्च भी निकालेंगे।
Leave feedback about this