महाकुंभ नगर, 25 दिसंबर । प्रयागराज महाकुंभ में 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की अनोखी दुनिया बसने जा रही है। इसके लिए संत परमहंस आश्रम, बाबूगंज सगरा अमेठी के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य ब्रह्मचारी मौनी बाबा ने संकल्प लिया है। अभय चैतन्य ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में बताया कि 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से संगम किनारे बारह ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया जा रहा है। इस शिव साधना को स्वरूप देने के 125 करोड़ आहुतियां दी जानी है।
प्रयागराज महाकुंभ के दिव्य स्वरूप को धरातल पर उतारने वाला यह अनोखा संकल्प भारत और विश्व के कल्याण की भावना से किया जा रहा है। जिसे लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं। यानी श्रद्धालुओं को इस बार त्रिवेणी के तट पर महाकुंभ में भगवान शिव की साधना का अनोखा संकल्प दर्शन के लिए मिलने जा रहा है। क्योंकि इसी त्रिवेणी के किनारे द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण हो रहा है।
शिव साधक अभय चैतन्य ब्रह्मचारी ने अपने इस अद्भुत संकल्प और अनुष्ठान के बारे में आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने कहा, “भगवान आशुतोष की कृपा से तीर्थराज प्रयाग की पावन धारा पर महाकुंभ 2025 में संपूर्ण विश्व और स्वतंत्र भारत में पहली बार 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों की स्थापना होगी। इससे शिव की अनंत कृपा का प्रसाद समस्त लोगों को प्राप्त होगा। इसके लिए बाबा भूतनाथ की कृपा से 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों की स्थापना के साथ शिव की 11 फीट ऊंची ज्योतिर्लिंग बनाई जाएगी।”
ज्योतिर्लिंग की खासियतों के बारे में बात करते हुए मौनी बाबा ने कहा, “ज्योतिर्लिंग की चौड़ाई 9 फीट होगी जो नौ निधियों के लिए है। उनकी मोटाई 7 फीट होगी जो सप्त कुंडलियों के लिए है। 11 फीट उनकी ऊंचाई होगी जो 11 रुद्र के लिए है। ऐसे भगवान महाकाल की दिव्य ज्योतिर्लिंगों की स्थापना होगी। इस स्थापना से संसार के समस्त प्राणियों की कामनाओं की पूर्ति होगी। भारत हिंदू राष्ट्र होगा, आतंकवाद का विनाश होगा, रक्षा और सुरक्षा होगी, भ्रूण हत्या बंद होगी, गंगा का अविरल प्रवाह होगा, आतंकवाद का विनाश होगा और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा होगी। उसी संकल्प को लेकर हम तीर्थराज प्रयाग की पावन धरा पर संकल्पित अनुष्ठान के साथ आए हैं।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी लोगों को तीर्थराज प्रयाग बुलाया गया है। लोग यहां आएं और 125 करोड़ आहुति करें। 11 करोड़ मंत्रों का जप पूरा करें, सवा करोड़ दीपक जलाएं और बाबा भूतनाथ से प्रार्थना करें की देश का संकल्प पूर्ण हो। उस संकल्प की सिद्धि के लिए हम सब भूतनाथ के श्री चरणों में हैं।
भगवान शिव का श्रृंगार उनका त्रिशूल है। शिव की इस महासाधना में शिवलिंग के चारो तरफ 11 हजार त्रिशूल स्थापित होंगे, जिनका निर्माण कर लिया गया है। इन त्रिशूलों में काले रंग का त्रिशूल आतंकवाद का नाश करने वाला, पीले रंग का त्रिशूल महामारी का शमन करने के लिए, लाल रंग का त्रिशूल वैभव और लक्ष्मी की वृद्धि करने वाला और सफेद रंग का त्रिशूल ज्ञान की वृद्धि करने वाला माना जाता है। ये 11 हजार त्रिशूल संगम किनारे स्थापित हो रहे बारह शिवलिंग के चारो तरफ लगेगें।
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