एमसीएम डीएवी सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल बाघनी (नूरपुर) में कल शाम स्कूल परिसर में भारत के तीसरे मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन की 135वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा (सेवानिवृत्त) ने की, जबकि स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीके महाजन मुख्य अतिथि थे।
समारोह की शुरुआत हवन से हुई। इसके बाद मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित किया। न्यायमूर्ति महाजन की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। स्कूल के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाते हुए हरियाणवी, कश्मीरी, हिमाचली और पंजाबी लोक नृत्यों का मंचीय प्रदर्शन किया। दसवीं कक्षा की छात्रा त्रिशा ने दिवंगत न्यायमूर्ति महाजन के जीवन और विरासत पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने देश के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान को याद किया।
मुख्य अतिथि ने न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन के जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए एक प्रेरक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति महाजन का जन्म 1889 में नूरपुर के टिका नगरोटा गांव में हुआ था। उन्होंने 1913 में धर्मशाला में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया।
उन्होंने कहा, “इसके बाद उन्होंने 1918 से 1943 तक लाहौर में वकालत की। 15 अक्टूबर 1947 को उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया और वे 5 मार्च 1948 तक इस पद पर रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य के भारत में विलय में भूमिका निभाई थी।”
मुख्य अतिथि ने कहा कि न्यायमूर्ति महाजन ने 4 जनवरी, 1954 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के तीसरे मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था और 22 दिसंबर, 1954 को अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर बने रहे।
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