रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि हिमाचल प्रदेश में छह छावनियों की पहचान की गई है, जहां नागरिक क्षेत्रों को छावनी बोर्डों के नियंत्रण से बाहर रखा जाएगा।
छावनी बोर्ड रक्षा संपदा महानिदेशालय (DGDE) के अधीन काम करते हैं। रक्षा मंत्रालय की एक स्थायी नीति है कि ब्रिटिश काल की छावनियों से नागरिक क्षेत्रों को अलग करके उन राज्यों को सेवाएँ सौंपी जाएँ जहाँ ये छावनी स्थित हैं। रक्षा मंत्रालय उन क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखेगा जिनका उपयोग सेना द्वारा किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार को लिखित उत्तर में बताया कि, “हिमाचल प्रदेश राज्य में सभी 6 छावनियों की सीमाओं से नागरिक क्षेत्रों को हटाने तथा हटाने की रूपरेखा पर सभी हितधारकों के परामर्श से विचार किया जा रहा है।”
रक्षा मंत्रालय ने सदन को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने नवंबर 2024 में एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि उसे छावनी बोर्ड के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों की देनदारियों को पूरा करने के लिए मंत्रालय से विशेष अनुदान सहायता की आवश्यकता होगी और छावनी के नागरिक क्षेत्रों को हटाने पर निर्णय लेते समय इस पहलू को ध्यान में रखा जा सकता है।
वर्तमान में रक्षा मंत्रालय के अधीन छावनी बोर्ड निवासियों को जल आपूर्ति, स्वच्छता, सड़कें, स्ट्रीट लाइट, स्कूल और अस्पताल सहित विभिन्न नागरिक सेवाएं प्रदान करते हैं, साथ ही केंद्र प्रायोजित योजनाओं सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करते हैं। इसके अलावा, ‘ई-छावनी’ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सेवाएं जैसे कि जन शिकायत निवारण, भवन योजना अनुमोदन, व्यापार लाइसेंस, जल कनेक्शन, जल बिलिंग, सीवेज कनेक्शन, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, संपत्ति कर संग्रह, ओपीडी पंजीकरण, सामुदायिक भवन बुकिंग, जल टैंकर बुकिंग, दुकान किराया संग्रह आदि भी छावनी में रहने वाले नागरिकों को प्रदान की जाती हैं।
एक बार ये क्षेत्र राज्य को सौंप दिए गए तो इनकी सेवाएं और खर्च राज्य को वहन करना होगा, रक्षा मंत्रालय को नहीं।
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