समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के चुनाव आयोग को सफेद कपड़े देने वाले विवादित बयान पर भाजपा के नेता हमलावर हैं। उन्होंने सपा प्रमुख के बयान की निंदा की और कहा कि उन्हें चुनाव आयोग से माफी मांगनी चाहिए।
दरअसल, मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में लगे आरोप को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था, “चुनाव आयोग मर गया है, हमें उसे सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा।”
आईएएनएस से बात करते हुए गुरुवार को कई नेताओं ने इस बयान की निंदा की है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “अखिलेश यादव ने (गुरुवार को) संसद में प्रवेश करने से पहले कहा कि चुनाव आयोग की मृत्यु हो गई है और उसे सफेद कपड़ा अर्थात कफन देना पड़ेगा। वहीं, कार्रवाई शुरू हुई तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने स्पीकर को सफेद कपड़ा दिया। चुनाव आयोग सर्वोच्च संवैधानिक संस्थाओं में से एक है। उसके लिए मृत्यु जैसे शब्दों का प्रयोग करना और कफन देना सपा तथा कई विपक्षी दलों की मानसिकता को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा, “एग्जिट पोल के रुझानों को देखकर डर जाना स्वाभाविक है। एग्जिट पोल के रुझान सर्वे करने वाली एजेंसियों की तरफ से दिए जाते हैं। लेकिन, इस पर चुनाव आयोग के मरने की बात कहना और उसको कफन देने की बात करना, लोकतंत्र की विचारधारा के विरोध में है। अखिलेश यादव को इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए।”
अखिलेश यादव के चुनाव आयोग को सफेद कपड़े देने वाले बयान को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने गलत ठहराया। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग की बदौलत वह जीतकर आए हैं, उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सफलता भी मिली। जब अयोध्या में चुनाव जीते तो चुनाव आयोग ठीक था, लेकिन जब मिल्कीपुर हारने जा रहे हैं तो उस पर सवाल उठा रहे हैं। अखिलेश का बयान निंदनीय है, जिसके लिए उनको माफी मांगनी चाहिए।”
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री असीम अरुण ने अखिलेश के बयान पर कहा, “यह बहुत पुरानी बात हो गई कि जब जीते तो मेरा पराक्रम और जब हारे तो ईवीएम और चुनाव आयोग को खराब ठहराना। ये आरोप अभी से उनकी हार की निशानी दिखा रहे हैं। जो भी चुनाव हो रहा है, वह चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर के अधीन हो रहा है। भाजपा का ऐसा कोई संस्कार नहीं है कि वह ऐसी गड़बड़ी करे। सपा की ऐसी गड़बड़ी और गुंडागर्दी करने की आदत रही है और वह शायद उसी चश्मे से इसको देख रही है।”
भाजपा सांसद एस.पी. बघेल ने अखिलेश के बयान की निंदा की। उन्होंने कहा, “जिम्मेदार व्यक्ति की तरफ से ऐसे बयान देना गलत है। इस संवैधानिक संस्था की बदौलत ही उन्होंने 2012 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।”
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