February 22, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ बना भारत का सबसे बड़ा आर्थिक आयोजन, स्थानीय व्यापार को भारी बढ़ावा

Mahakumbh becomes India’s biggest economic event, huge boost to local business

महाकुंभ नगर/नई दिल्ली, 21 फरवरी । विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 ने व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के अनुसार, इस बार के महाकुंभ ने 3 लाख करोड़ रुपए (360 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक का व्यापार उत्पन्न किया है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े आर्थिक आयोजनों में से एक बन गया है।

सीएआईटी के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह आयोजन आस्था और अर्थव्यवस्था के गहरे संबंध को दर्शाता है।

13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि शुरुआती अनुमान के अनुसार, 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और 2 लाख करोड़ रुपए के व्यापार की संभावना थी, लेकिन देशभर में इस आयोजन को लेकर अभूतपूर्व उत्साह के कारण अब 60 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जिससे कुल व्यापार 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है।

महाकुंभ 2025 के दौरान कई व्यापारिक क्षेत्रों में बड़ा आर्थिक उछाल देखने को मिला। इनमें पर्यटन, होटल और आवास सेवाएं, खाद्य और पेय पदार्थ उद्योग, परिवहन और लॉजिस्टिक्स, पूजा सामग्री, धार्मिक वस्त्र और हस्तशिल्प, हेल्थकेयर और वेलनेस सेवाएं, मीडिया, विज्ञापन और मनोरंजन उद्योग, स्मार्ट टेक्नोलॉजी, सीसीटीवी, टेलीकॉम और एआई आधारित सेवाएं प्रमुख रूप से शामिल हैं।

महाकुंभ के कारण केवल प्रयागराज ही नहीं, बल्कि 150 किमी के दायरे में स्थित शहरों और कस्बों में भी व्यापार में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा, अयोध्या, वाराणसी और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे वहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।

महाकुंभ को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में सड़क, फ्लाईओवर और अंडरपास के निर्माण एवं सुधार पर 7,500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस राशि में से 1,500 करोड़ रुपए विशेष रूप से महाकुंभ की व्यवस्थाओं के लिए आवंटित किए गए थे। इससे न केवल प्रयागराज में, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी यातायात और नागरिक सुविधाओं में सुधार हुआ है।

अगर अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था।

1 फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई, इसके अलावा बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी। माघी पूर्णिमा के महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर भी 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पावन स्नान किया था।

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