मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में बना बस रैपिड ट्रांजिट कॉरिडोर (बीआरटीएस) को हटाया जा रहा है। राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के निर्देश पर हो रही है।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि बीआरटीएस को लेकर नगर में दो मत थे, कुछ लोग चाहते थे कि बीआरटीएस होना चाहिए और कुछ चाहते थे कि बीआरटीएस नहीं होना चाहिए। बाद में शहर की जनता के व्यापक हित इसे हटाने का फैसला किया गया। हालांकि मामले में दो मत होने के चलते यह मामला कोर्ट में चला गया और अब हाईकोर्ट के आदेश पर इसे हटाया जा रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार की रात से ही नगर निगम ने बीआरटीएस हटाने का सिलसिला शुरू कर दिया। इसे लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी और कहा कि आमजन को परेशानी न हो, रेलिंग को हटाया जाए। शुरुआती तौर पर शुक्रवार की रात से नौलखा से जीपीओ के बीच की रेलिंग हटाने की कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए कटर और जेसीबी का उपयोग किया जा रहा है।
नगर निगम की ओर से बताया गया है कि जैसे-जैसे रेलिंग हटती जाएगी, बसों को मिश्रित मार्ग पर ही चलाया जाएगा। इसके अलावा बीआरटीएस के संचालन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि इंदौर की ही तरह भोपाल में भी बीआरटीएस बना था और उसे जनवरी 2024 में हटाया जाना शुरू किया गया था। अब इंदौर में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। आने वाले समय में भोपाल की तरह इंदौर भी बीआरटीएस मुक्त हो जाएगा। बीआरटीएस पर कुछ ही वाहन चल पाते थे और बड़ी संख्या में लोगों को अन्य मार्गों का सहारा लेना पड़ता था।
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