March 6, 2025
Uttar Pradesh

प्रदूषण की बात करने वाले वही लोग हैं, जो अपने समय में कुछ कर नहीं पाए : मुख्यमंत्री योगी

Those who talk about pollution are the same people who could not do anything in their time: Chief Minister Yogi

लखनऊ, 6 मार्च । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र 2025-26 में विधान परिषद को संबोधित किया। बुधवार को बजट पर चर्चा करते हुए उन्होंने समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि प्रदूषण की बात करने वाले वही लोग हैं, जो अपने समय में कुछ कर नहीं पाए।

मुख्यमंत्री ने कहा, “संवाद और विचारों की अभिव्यक्ति लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। अपनी अभिव्यक्ति को मर्यादा के दायरे में सदन के मंच पर रखें।”

सीएम योगी ने कहा कि यह वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम उन सभी घटनाओं के साक्षी बन रहे हैं। महाकुंभ प्रयागराज उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के हर व्यक्ति के मस्तिष्क में छाया दिखा है। यह यूनिक इवेंट बनकर दुनिया को लंबे समय तक अपनी ओर आकर्षित करेगा। जब महाकुंभ का आयोजन हो रहा था, तो कई सदस्य, संगठन व पार्टियां अनर्गल प्रलाप भी कर रहे थे। इससे इतर हम लोग मौन रहकर जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। महाकुंभ के महत्व, आध्यात्मिक पहलू, सामाजिक पहलू, राष्ट्रीय एकात्मकता व आर्थिक पहलू को लेकर अनेक विचारकों-विशेषज्ञों ने राय रखी। महाकुंभ के बारे में चर्चा वही कर सकता है, जिसने महाकुंभ का दर्शन किया हो। जो महाकुंभ नगरी में जाकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आयोजन का सहभागी बना होगा, महाकुंभ के अलग-अलग पक्षों के बारे में वही चर्चा कर पाएगा।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत में कहा है कि मुझे जो जिस रूप में स्मरण करता है, मैं उसे उसी रूप में दिखाई देता हूं। जिसकी जैसी दृष्टि थी, उसे वैसी ही सृष्टि महाकुंभ में देखने को मिली। इस महाआयोजन को यूनेस्को के निदेशक समेत दुनिया की मीडिया ने भी काफी सराहा। मुख्यमंत्री ने एक दैनिक समाचार पत्र के आर्टिकल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लेखक संघ विचारधारा के नहीं हैं, उनका भाजपा से भी कोई संबंध नहीं है, लेकिन उन्होंने महाकुंभ के बारे में लिखा है कि समाज अपने अनुभवों के बारे में जीता है। 45 दिन लंबे अनुभव में हर दिन एक से डेढ़ करोड़ की संख्या में आती, संगम में सहज अनुशासित भाव से ‘आस्था की डुबकी’ लगाती और उतनी शांति से वापस जाती भीड़ ने अपने सद्-व्यवहार से दुनिया की मीडिया को आकर्षित व अभिभूत किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 45 दिन में 66.30 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए। यूपी हो या प्रयागराज, कहीं भी लूट, अपहरण, दुष्कर्म, छेड़छाड़ की घटना नहीं हुई, जिससे कोई शर्मिंदा महसूस करे। यह सामाजिक अनुशासन है। महाकुंभ ने नया हिंदू विमर्श भी पैदा किया है कि हे पश्चिमी आधुनिकता! जिसे तूने दूषित किया, वह अब भी हमारे लिए पवित्र है। क्योंकि यही हमारी सुरसरि है, जो वह बहते-बहते हर एक को पवित्र करती रहती है, विज्ञान भी तो यही कहता है कि बहता हुआ जल अपने आप को पवित्र करता रहता है। हमारी नदी संस्कृति भी यही है।

उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता और पवित्रता के बारे में प्रश्न उठ रहा था। मां गंगा बिजनौर से बलिया तक 1,000 किलोमीटर दूरी तय करती हैं। नमामि गंगे परियोजना (2014) के पहले सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानपुर था। यह न सिर्फ यूपी, बल्कि गंगोत्री से लेकर गंगासागर के 2,500 किलोमीटर के दायरे में था। कानपुर में 125 वर्ष से सीसामऊ में चार करोड़ लीटर सीवर प्रतिदिन गंगा जी में उड़ेला जाता था, लेकिन पीएम मोदी ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई। हालांकि, पैसा 2015 में भी उपलब्ध कराया गया, लेकिन सपा की तत्कालीन सरकार ने उसे लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। प्रदूषण की बात करने वाले वही लोग हैं, जो अपने समय में कुछ कर नहीं पाए।

सीएम योगी ने आगे कहा कि जब हमें अवसर मिला तो डबल इंजन सरकार ने सीसामऊ के सीवर पॉइंट को सेल्फी पॉइंट बनाया। कानपुर में आज एक भी बूंद सीवर गंगा जी में नहीं जाता है, जबकि अंग्रेजों के समय से सीवर गिराने का कार्य प्रारंभ हुआ था। जनवरी से फरवरी तक हर सैंपल पास हुआ है। यह चीजें दिखाती हैं कि मां गंगा और नदी संस्कृति अपनी शुद्धता का ध्यान भी रखती है, क्योंकि वह हमारी जीविका और जीवन का भी आधार है।

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