भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों ने रविवार को शहर की ब्राह्मण धर्मशाला में राज्य स्तरीय बैठक की। बैठक में 23 मार्च को कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास के बाहर राज्य स्तरीय प्रदर्शन करने की घोषणा की गई। इससे पहले एनएचएम कर्मचारी 18 मार्च को जिला मुख्यालयों पर उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाएंगे।
कर्मचारियों ने छठे वेतन आयोग के तहत एनएचएम सेवा नियम 2018 के अनुसार जनवरी और जुलाई 2024 के लिए लंबित महंगाई भत्ते को जारी करने की मांग की, साथ ही सातवें वेतन आयोग के लाभ भी दिए, जिन्हें पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने 2 नवंबर 2021 को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी।
उन्होंने यह भी मांग की कि 2017 से 2024 तक की हड़ताल/आंदोलन अवधि को ड्यूटी अवधि माना जाना चाहिए और तदनुसार वेतन जारी किया जाना चाहिए।
प्रदेशाध्यक्ष विपिन शर्मा ने कहा कि 23 मार्च को हजारों एनएचएम कर्मचारी कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास पर एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे और सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखेंगे।
प्रदेश महासचिव जगत बिसला ने कहा कि 15 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री ने राज्य में संविदा कर्मचारियों के लिए एक अधिनियम की घोषणा की थी, जिसमें ऐसे सभी कर्मचारियों के लिए नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी। इस अधिनियम ने एनएचएम कर्मचारियों को सुरक्षित भविष्य की उम्मीद दी थी, लेकिन यह अभी तक पूरी नहीं हुई है।
करनाल संघ के प्रेस सचिव सुरेश नरवाल ने बताया कि 26 जून 2024 को वित्त विभाग ने मिशन निदेशक को आदेश जारी कर एनएचएम कर्मचारियों के सेवा नियमों को फ्रीज करने, भाजपा द्वारा 2018 में दिए गए सेवा लाभ वापस लेने के आदेश जारी किए हैं। जिससे एनएचएम कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जिस सरकार ने एनएचएम कर्मचारियों को सेवा लाभ प्रदान किए थे, वही सरकार अब उन्हें वापस लेने का प्रयास कर रही है, जिससे कर्मचारियों में व्यापक रोष पैदा हो रहा है।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि एनएचएम कर्मचारी हमेशा जनता की सेवा के लिए समर्पित रहे हैं, यहां तक कि कोविड जैसी महामारी और बीमारी के प्रकोप के दौरान भी। उनकी प्रतिबद्धता के बावजूद, सरकार उनके अधिकारों को कमजोर कर रही है।
जुलाई-अगस्त 2024 में एनएचएम कर्मचारियों ने अपने अधिकारों की मांग को लेकर जिला स्तर पर 22 दिन की हड़ताल की थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ खोखले आश्वासन दिए। वादे पूरे न होने से हताश एनएचएम कर्मचारियों को अब सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान लगभग सभी जिलों के प्रतिनिधियों ने 23 मार्च के विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लेने का संकल्प लिया।
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