हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने चालू बजट सत्र में बहस के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की है और इसे राज्य के विधायी इतिहास में “नया निम्न स्तर” बताया है।
शर्मा, जो करीब चार साल तक स्पीकर के पद पर रहे, ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने सदन में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति कभी नहीं देखी। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बुरा उदाहरण पेश कर रहा है जो राजनीति में शामिल होना चाहते हैं। मैंने स्पीकर के पद को बहुत सम्मान दिया है, लेकिन अब जो हो रहा है वह चौंकाने वाला है।”
आरोप-प्रत्यारोप की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए शर्मा ने विधायकों से व्यक्तिगत हमलों के बजाय सार्थक चर्चा पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “मैं चर्चा के निम्न स्तर को देखकर दुखी हूं और यह आश्चर्य की बात है कि सदस्य एक वरिष्ठतम विधायक के अपमान पर हंसे।”
उन्होंने अफसोस जताया कि बेरोजगारी, महंगाई, कानून-व्यवस्था और किसानों की चिंताओं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी की जा रही है, जिससे विधानसभा उपहास का मंच बन गई है।
शर्मा ने कहा, ‘‘हरियाणा के लोग अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के आचरण से हैरान हैं।’’ अध्यक्ष से कड़ा रुख अपनाने का आग्रह करते हुए शर्मा ने संसदीय शिष्टाचार बनाए रखने और असंसदीय भाषा के प्रयोग पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, “मैं अध्यक्ष के पद का बहुत सम्मान करता हूं और बहस की गुणवत्ता को बढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है।” शर्मा ने एक दशक से अधिक समय से सत्ता में रहने के बावजूद नये विधानसभा भवन के निर्माण पर राज्य सरकार की निष्क्रियता की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, “केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार होने के कारण इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए।” हरियाणा के लिए अपनी राजधानी, उच्च न्यायालय और विधानसभा भवन की मांग दोहराते हुए शर्मा ने राज्य की प्रगति के लिए एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया।
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