संगरूर (पंजाब), 11 जून, 2025: संगरूर के सिविल अस्पताल परिसर में कथित अनधिकृत निर्माण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों द्वारा नगरपालिका कानूनों और अदालती आदेशों के लगातार उल्लंघन पर चिंता जताई गई है।
7 जून 2025 की तिथि वाली तस्वीरों में अस्पताल स्थल पर भारी निर्माण कार्य चलता हुआ दिखाया गया है।
एक जेसीबी अर्थमूवर को गहरी खुदाई का काम करते देखा गया, जबकि बिना किसी सुरक्षात्मक उपकरण के मजदूर असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में काम कर रहे थे। एक अन्य तस्वीर में सुदृढ़ीकरण स्टील का एक बड़ा भंडार दिखाया गया है, जो दर्शाता है कि पूर्ण निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है।
सूत्रों का आरोप है कि निर्माण कार्य संगरूर नगर परिषद से स्वीकृत भवन योजना के बिना ही किया जा रहा है। हालांकि कुछ चित्र प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन कोई औपचारिक स्वीकृति नहीं दी गई है।
सूत्रों का आरोप है कि निर्माण कार्य संगरूर नगर परिषद से स्वीकृत भवन योजना के बिना ही किया जा रहा है। हालांकि कुछ चित्र प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन कोई औपचारिक स्वीकृति नहीं दी गई है।
पंजाब म्यूनिसिपल अधिनियम और भवन उपनियमों के अनुसार, बिना मंजूरी के मामूली निर्माण कार्य भी अवैध है।
चल रहे मुकदमे से मामला और भी जटिल हो गया है। कथित तौर पर यह ज़मीन CWP-18565 of 2021 के अंतर्गत आती है, जिस पर वर्तमान में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुनवाई की जा रही है।
संगरूर में पेड़ों की कटाई पर रोक लगी हुई है, लेकिन निर्माण कार्य के लिए भूमि खाली करने हेतु कथित तौर पर अदालत की अनुमति के बिना 17 पेड़ों को काट दिया गया।
संबंधित निवासी जसिंदर सेखों ने पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पत्र में सेखों ने निर्माण कार्य रोकने, संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने और नगर परिषद तथा पीडब्ल्यूडी द्वारा संयुक्त निरीक्षण कराने की मांग की है।
सेखों ने अपने पत्र में कहा, “यह न केवल नगरपालिका कानून का उल्लंघन है, बल्कि उच्च न्यायालय के अधिकार को चुनौती है।” उन्होंने जवाबदेही की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है, खासकर इसलिए क्योंकि यह घटना मुख्यमंत्री के गृह जिले में घटित हो रही है।
अभी तक संबंधित विभागों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा कानूनी और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन सकता है।
अभी तक संबंधित विभागों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा कानूनी और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन सकता है।
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