हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि राज्य की भाजपा सरकार जानबूझकर बेरोजगार युवाओं को परेशान कर रही है और उन्हें कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) फार्म भरने के लिए भी अदालत जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “अब तक हर भर्ती में घोटाले और धोखाधड़ी करने वाली सरकार अब भर्ती फॉर्म के साथ खिलवाड़ कर रही है। पिछले दो कार्यकालों के दौरान, उम्मीदवारों को हर भर्ती प्रक्रिया के दौरान अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। और अब उन्हें सीईटी फॉर्म भरने के लिए भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा, “सरकार ने ग्रुप-सी पदों के लिए सीईटी के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन सरल पोर्टल बंद होने के कारण अभ्यर्थियों को अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व अन्य के प्रमाण पत्र नहीं मिल पाए। ऐसे में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को भी सामान्य वर्ग में आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसे में सरकार को खुद ही अपना पोर्टल दुरुस्त कर सीईटी के लिए आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा देनी चाहिए थी। ऐसा लगता है कि भाजपा की कभी युवाओं को नौकरी देने की मंशा ही नहीं रही।”
उन्होंने आगे कहा कि यही वजह है कि युवाओं को इन फॉर्म को भरने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उन्होंने कहा, “युवाओं ने सीईटी रजिस्ट्रेशन के लिए 15 दिन का समय मांगा है। साथ ही अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि सीईटी एक ही शिफ्ट में होनी चाहिए ताकि सभी को एक ही पेपर मिले।”
हुड्डा ने कहा कि इस पूरी घटना ने भाजपा सरकार के पोर्टल और भर्ती प्रक्रिया दोनों की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकार ने ऑनलाइन सुविधाएं शुरू की थीं। इसका उद्देश्य पंचायतों समेत सभी सरकारी विभागों और सेवाओं को ऑनलाइन करना और घर बैठे एक क्लिक पर जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराना था। लेकिन भाजपा ने इन ऑनलाइन सेवाओं की पूरी व्यवस्था को ही पलट दिया। लोगों को ऑनलाइन काम करवाने के लिए भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। फिर भी पोर्टल बंद होने के कारण ये काम समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं।”
हुड्डा ने कहा कि सीईटी को जानबूझकर सालों तक लटकाया गया और अब जब प्रक्रिया शुरू हो गई है तो सोची-समझी योजना के तहत जानबूझकर इसमें गड़बड़ी छोड़ दी गई। उन्होंने कहा, “इसलिए हमेशा की तरह मामला कोर्ट में चला जाता है और सरकार को भर्तियों को रोकने और मामले को अगले चुनाव तक खींचने का बहाना मिल जाता है।”
उन्होंने कहा, “इस सरकार ने पिछले पांच साल में यही खेल खेला है। भर्ती का परिणाम जानबूझकर रोका गया। बेरोजगार युवाओं औ
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