June 28, 2025
Uttar Pradesh

संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाना चाहिए : संजय निषाद

The words ‘socialist’ and ‘secular’ should be removed from the preamble of the Constitution: Sanjay Nishad

लखनऊ, 28 जून । उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने मांग की है कि संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाना चाहिए। इससे पहले आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर राजधानी दिल्ली में गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों की समीक्षा की मांग रखी थी।

आरएसएस महासचिव की मांग से संजय निषाद ने सहमति जताई है। उन्होंने शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इन शब्दों को शामिल करने का प्रस्ताव संविधान सभा में दो बार लाया गया था, लेकिन दोनों बार खारिज कर दिया गया था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया था। फिर भी, जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तो इन शब्दों को जबरन संविधान में शामिल किया गया था। यह गलत था। इतिहास राजनीति की जननी है। यह इतिहास में एक धब्बा था और इसकी वजह से आज मुसलमान गरीब हैं। हमारी सरकार में मुसलमानों को रोजगार दिया जा रहा है।

संजय निषाद ने मांग की कि इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए और दोनों शब्दों को हटा देना चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस के अंग्रेजी भाषा को लेकर दोहरी मानसिकता के बारे में कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक अपनी सरकार में यह भरपूर प्रयास किया कि कोई भी गांव का बच्चा अंग्रेजी न पढ़े। इसीलिए, गांव में बच्चों को अंग्रेजी बोलने में दिक्कत होती थी।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से इटावा मारपीट मामले में दिए एक बयान पर संजय निषाद ने कहा कि क्या वह मंदिर जाते हैं तो दान नहीं करते हैं? क्या वह खुद स्वीकार करेंगे कि आज से वह पंडितों को दान नहीं देंगे?

अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘वर्चस्ववादी’ यह घोषणा करें कि पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) की ओर से दिया जाने वाला चंदा कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

संजय निषाद ने इटावा में धर्म प्रचारक की घटना पर कहा कि इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। लोकतंत्र में कानून अपना काम करता है। अगर कोई घटना होती है तो लोगों को कानून का सहारा लेना चाहिए, न कि जाति या सांप्रदायिक जहर फैलाना चाहिए। हम चाहते हैं कि हर समुदाय के नेता अपने-अपने समुदाय का मार्गदर्शन करें।

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