महाराष्ट्र में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का विरोध तेज हो गया है। उद्धव और राज ठाकरे, शरद पवार समेत विपक्षी नेताओं ने इस नीति की कड़ी आलोचना की है। ठाकरे बंधु हिंदी भाषा के विरोध में रैली करने वाले हैं। वहीं, वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने हिंदी भाषा के विरोध में ठाकरे बंधुओं के एक साथ आने का समर्थन किया है।
प्रकाश अंबेडकर ने शनिवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा, “उद्धव और राज ठाकरे मुद्दे पर रैली निकाल सकते हैं, साथ आ सकते हैं और नगर निगम चुनाव के दौरान साथ बैठ भी सकते हैं। मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं दिखती।”
उन्होंने एनसीपी के रैली में शामिल होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि एनसीपी को बिन बुलाए मेहमान की तरह इसमें शामिल किया गया है, जबकि कांग्रेस अब भी बाहर है। क्या यह महा विकास अघाड़ी की रैली है या इन दोनों पार्टियों की रैली है? मुझे लगता है कि दोनों पार्टियों को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जहां तक हिंदी भाषा की बात है तो वह आधिकारिक भाषा है। हम लोग भी जब स्कूल और कॉलेज में थे, तब हिंदी वैकल्पिक विषय हुआ करता था। इस दौरान 90 प्रतिशत छात्र हिंदी ऑप्शनल सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई करते थे।
वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि मुंबई में लोग बोलचाल के जरिए ही हिंदी भाषा सीख रहे हैं। अगर आप मुंबई में व्यापार करने जाते हैं, तो आपको गुजराती आनी चाहिए, अगर आप लोगों से संवाद करना चाहते हैं, तो आपको मराठी और हिंदी आनी चाहिए। मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में लोग बोलकर हिंदी सीखते हैं, चाहे वे गांव में हों या शहर में। मुझे लगता है कि यह देश की स्थिति है कि लोग केंद्र की नीतियों को अपने-आप अपना लेते हैं। सरकार द्वारा हिंदी थोपना और शिवसेना तथा राज ठाकरे का विरोध करना मुझे मैच फिक्सिंग जैसा लगता है।
उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों के साथ आने से बीएमसी चुनाव में उद्धव को नुकसान होगा, क्योंकि मुंबई में प्रवासी लोगों का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में उद्धव को वोट करते हैं। अब इस आंदोलन के बाद ये लोग उन्हें वोट नहीं करेंगे।
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