भारत और फ्रांस की सेनाओं ने एक बेहद महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास ‘शक्ति’ को अंजाम दिया है। खास बात यह है कि यह आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पूरा किया गया।
अभ्यास के दौरान भारत और फ्रांस की सेनाओं ने भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखकर इस युद्धाभ्यास में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली का समावेश किया। इसके अलावा, ड्रोन रोधी अभियानों जैसे विषयों पर संयुक्त प्रशिक्षण किया। यह पूरा अभ्यास फ्रांस में आयोजित किया गया।
अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने कॉम्बैट शूटिंग, अर्बन वॉरफेयर और अवरोध पार प्रशिक्षण भी किया। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और ड्रोन रोधी क्षमता युद्धों का रुख निर्धारित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच आयोजित यह संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘शक्ति’ का समापन हो गया। यह संयुक्त युद्धाभ्यास फ्रांस के कैंप लारजैक, ला कावालरी में आयोजित किया गया था। दोनों सेनाओं ने एक भव्य समारोह के साथ युद्धाभ्यास के समापन की घोषणा की।
भारत का मानना है कि यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी तालमेल, विश्वास और सामरिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहा। इस अभ्यास में भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन के 90 सैनिकों का एक दल शामिल हुआ था। वहीं, फ्रांस की तरफ से 13वीं डेमी-ब्रिगेड डे लेजियन एत्रांजेरे के सैनिकों ने युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया।
भारतीय सेना के मुताबिक, फ्रांस में हुए इस सैन्य प्रशिक्षण का प्रमुख आकर्षण एक लगातार 96 घंटे चलने वाला फील्ड अभ्यास रहा। इस फील्ड अभ्यास में बहु-आयामी परिदृश्यों के माध्यम से वास्तविक और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संयम, योजना कौशल और संयुक्त निर्णय लेने की क्षमता का परीक्षण किया गया। फ्रांस में भारत के राजदूत संजीव सिंगला ने अभ्यास के दौरान भारतीय सैनिकों से मुलाकात की।
सिंगला ने भारतीय सैनिकों के पेशेवर रवैये और भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों को सशक्त बनाने में दिए गए योगदान की सराहना की। ‘शक्ति’ अभ्यास भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती रणनीतिक एकता का प्रतीक है। इसने न केवल सामरिक जानकारी और ऑपरेशनल श्रेष्ठताओं का आदान-प्रदान संभव बनाया, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता, सामूहिक सुरक्षा और रक्षा सहयोग के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ किया है।
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