चंडीगढ़, 3 जुलाई, 2025: देश के कृषि संकट की तीखी आलोचना करते हुए, पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने गुरुवार को महाराष्ट्र में केवल तीन महीनों के भीतर 767 किसानों की आत्महत्या की चिंताजनक संख्या पर गहरा दुख व्यक्त किया – औसतन हर दिन लगभग आठ मौतें। इसे “व्यवस्थागत पतन का दुखद प्रतिबिंब” बताते हुए, संधवान ने कहा,
उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल हमारे अन्नदाता की आत्महत्या नहीं है ; यह हमारी सामूहिक अंतरात्मा की आत्महत्या है और हर स्तर पर शासन की विफलता है।’’
अध्यक्ष ने बताया कि प्रभावित परिवारों में से केवल 376 को ही कोई सरकारी सहायता मिली है, जबकि शेष लोग अपने प्रियजनों की अपूरणीय क्षति के बाद भी चुपचाप कष्ट झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने कभी किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, वही लोग अब उनके जीवन की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं। इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है?”
सरकार की पारदर्शिता की कमी पर प्रकाश डालते हुए संधवान ने कहा कि केंद्र सरकार किसान आत्महत्याओं पर सटीक आंकड़े उपलब्ध कराने में विफल रही है, जिससे गहराते संकट से निपटने के उसके इरादे पर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वे तत्काल शोक संतप्त परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करें तथा वर्तमान कृषि मॉडल पर पुनर्विचार करें, क्योंकि उन्होंने कहा कि यह किसानों को समृद्धि के बजाय निराशा की ओर धकेल रहा है।
संधवान ने कहा, “यह एक मानवीय आपातकाल है।” “हमें तत्काल सुधार, ऋण राहत और किसानों के लिए सुरक्षा जाल की आवश्यकता है। केवल नारे लगाने से खोई हुई जिंदगियाँ वापस नहीं आएंगी।”
उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब किसानों की अशांति और कृषि संकट सुर्खियों में बने हुए हैं, जबकि नीतिगत प्रतिक्रियाएं अपर्याप्त और बिखरी हुई हैं।
Leave feedback about this