July 12, 2025
National

पहली 1 करोड़ कमाने वाली फिल्म बनी अनिल विश्वास की ‘किस्मत’, सुरों ने रचा इतिहास

Anil Biswas’s ‘Kismat’ became the first film to earn 1 crore, the tunes created history

आज की तारीख में ब्लॉकबस्टर फिल्म का तमगा उसे मिलता है जो एक-दो नहीं बल्कि 100 करोड़ पीटती है। समय वाकई बदल गया है! करोड़पति फिल्म का टैग लगना 60 के दशक में भी बड़ी उपलब्धि होती थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब देश आजाद भी नहीं हुआ था, तब एक फिल्म ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाई की थी? और इस फिल्म का नाम ‘किस्मत’ था, जो 1943 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म की सफलता का श्रेय संगीतकार अनिल विश्वास को दिया गया था। उन्होंने इस फिल्म के लिए जो संगीत रचा, वह सीधे लोगों के दिल को छू गया। ‘आज हिमालय की चोटी से, फिर हमने ललकारा है…’ जैसे गीत ने लोगों में देशभक्ति की भावना भर दी, और ‘धीरे धीरे आ रे बादल…’ जैसी मीठी धुन ने हर दिल को छू लिया।

अनिल विश्वास का जन्म 7 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के बरीसाल में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत में दिलचस्पी थी। वह किशोरावस्था में स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल हुए थे, जिसके चलते वह जेल में भी गए थे।

काम करने के लिए वह मुंबई आए और थिएटर में काम करना शुरू किया और इसके बाद धीरे-धीरे फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। शुरुआत में उन्होंने कलकत्ता की कुछ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, लेकिन असली पहचान उन्हें ‘बॉम्बे टॉकीज’ से मिली। उन्होंने फिल्मों में सिर्फ अच्छे गीत नहीं दिए, बल्कि फिल्म संगीत की दिशा ही बदल दी।

‘किस्मत’ के बाद अनिल विश्वास हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े संगीतकारों में गिने जाने लगे। उन्होंने मुकेश, तलत महमूद, लता मंगेशकर, मीना कपूर और सुधा मल्होत्रा जैसे गायकों को पहला ब्रेक दिया और उन्हें पहचान दिलाई। उन्होंने गजल, ठुमरी, दादरा, कजरी, और चैती जैसे उपशास्त्रीय संगीत को भी फिल्मों में जगह दी।

1940 और 50 के दशक में अनिल विश्वास का संगीत पूरे देश में छाया रहा। उस समय जब ज्यादातर गाने सीधे-सादे होते थे, अनिल दा ने उनमें गहराई और नई परतें जोड़ीं। उनकी रचनाएं आज भी सुनने पर नई लगती हैं। ‘अनोखा प्यार’, ‘आरजू’, ‘तराना’, ‘आकाश’, ‘हमदर्द’ जैसी फिल्मों में उनका संगीत एक से बढ़कर एक था।

उन्होंने एक रागमाला भी बनाई, जो चार अलग-अलग रागों को एक गीत में जोड़ती थी। ये प्रयोग उस दौर में किसी ने नहीं किया था।

संगीतकार के तौर पर उन्होंने 1965 में रिलीज हुई ‘छोटी छोटी बातें’ के लिए काम किया। तो उनके साथ कई सितारों की कहानियां भी जैसे खत्म होने लगीं। इस फिल्म के गाने ‘जिंदगी ख्वाब है…’ और ‘कुछ और जमाना कहता है…’ उनकी कलात्मक सोच की मिसाल हैं। फिल्म की कहानी ने लोगों के बीच कुछ खास जगह नहीं बनाई, लेकिन इसका संगीत आज भी लोगों की जुबान पर है।

फिल्मों से संन्यास लेने के बाद अनिल विश्वास दिल्ली आ गए और संगीत शिक्षा में लग गए। उन्होंने आकाशवाणी और संगीत नाटक अकादमी जैसे संस्थानों के साथ मिलकर काम किया।

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