July 11, 2025
Entertainment

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ री-लॉन्च नहीं करना चाहती थीं एकता कपूर, लंबे-चौड़े पोस्ट में बताई वजह

Ekta Kapoor did not want to relaunch ‘Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi’, explained the reason in a long post

फिल्म और टीवी शो मेकर एकता कपूर ने टीवी शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की 25वीं वर्षगांठ पर इसके फिर से लॉन्च करने की योजना का खुलासा किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट कर बताया कि शुरू में उन्होंने इस विचार को ठुकरा दिया था और वो शो को री-लॉन्च नहीं करना चाहती थीं।

एकता ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “जब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के 25 साल पूरे होने को आए और इसे फिर से टीवी पर लॉन्च करने की बातें उठने लगीं, तो मेरी पहली प्रतिक्रिया थी नहीं! बिल्कुल नहीं! मैं क्यों उस पुरानी याद को फिर से सामने लाऊं? जो लोग पुरानी यादों में खोए रहते हैं वो समझते हैं, वह जानते हैं कि उन यादों से कभी जीता नहीं जा सकता। वो हमेशा सुप्रीम रही हैं और रहेंगी।”

एकता ने बताया, “हम अपने बचपन को जैसे याद करते हैं और वह असल में जैसा रहा है, दोनों में फर्क है और रहेगा भी। टीवी का स्पेस भी अब बहुत बदल चुका है। एक दौर था जब मात्र 9 शहरों में हमारे दर्शकों की संख्या बंटी हुई थी; आज वही संख्या कई अलग-अलग टुकड़ों में बंट गई है, अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर फैल चुकी है। क्या ये ‘क्योंकि ‘ की उस विरासत को संभाल पाएंगे? उस ऐतिहासिक टीआरपी को, जो फिर कभी किसी और धारावाहिक को नहीं मिली, उसे संभाल पाएंगे? लेकिन, सवाल है कि क्या टीआरपी ही उस शो की असली विरासत थी? क्या वो बस अंकों का खेल था? एक इंटरनेशनल संस्था के एक रिसर्च में सामने आया कि इस शो ने भारतीय घरों की महिलाओं को एक आवाज दी।

एकता ने आगे बताया, “ये सिर्फ एक डेली सोप नहीं था। इसने घरेलू शोषण, वैवाहिक बलात्कार, एज शेमिंग और इच्छामृत्यु जैसे मुद्दों को भारतीय डाइनिंग टेबल्स की चर्चा का विषय बनाया और यही इस कहानी की असली विरासत थी। हालांकि, लोग मानते हैं कि शो का अचानक से बंद हो जाना अधूरा सा एहसास छोड़ गया था। मैंने टीम और खुद से पूछा… क्या हम आज के स्टोरीटेलिंग फॉर्मेट्स से अलग रहकर फिर से वैसी ही कहानियां पेश कर पाएंगे? क्या हम टेलीविजन का वो दौर वापस ला सकते हैं?

क्या हम टीआरपी की दौड़ से बाहर जाकर फिर से प्रभावशाली कहानियां बना सकते हैं? क्या हम दर्शकों तक पहुंच कर फिर से उनकी सोच, उनके नजरिए को बदल सकते हैं? क्या हम पेरेंटिंग की बात कर सकते हैं? केयर और कंट्रोल के बीच के संतुलन की बात कर सकते हैं? क्या हम उन मुद्दों पर बात कर सकते हैं जिनसे आज का समाज कतराता है?

क्या हम भारत के सबसे बड़े और सबसे गहरे माध्यम, टेलीविजन का इस्तेमाल करके फिर से एक ऐसी कहानी कह सकते हैं जो दिल को छू जाए और लोगों की सोच को झकझोर कर रख दे, जो लोगों को प्रभावित करे पर साथ ही साथ एंटरटेन भी करे? क्या हम फिर से वो वक्त ला सकते हैं जहां एक पूरा परिवार डिनर टेबल पर बैठकर बातें किया करता था? जैसे ही मैंने खुद से ये सवाल किया, जवाब खुद-ब-खुद मुस्कराते हुए सामने आ गया।”

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ वापस आ रहा है, कुछ सीमित एपिसोड्स के साथ। 25 साल का जश्न मनाने, लोगों को प्रभावित करने, एंटरटेन करने, सोच को बदलने और सबसे जरूरी एक असर छोड़ जाने के इरादे से। बहुत सारी भावना, उत्साह और दिल से जुड़ी कहानियों के साथ।

अंत में एकता ने लिखा, “इस शो के लिए जो सिर्फ हमारा नहीं, आपका भी है। चीयर्स टू क्योंकि…, चीयर्स टू स्टोरीटेलिंग, चीयर्स टू प्रभाव!”

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