जम्मू-कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा है कि देश में हर धर्म को मानने वाले व्यक्तियों को हमारा संविधान समान अधिकार देता है। सभी को अपने शहीदों को याद करने की आजादी होनी चाहिए।
आईएएनएस से बात करते हुए सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा, “13 जुलाई वाली घटना को लेकर जिस तरह का माहौल बनाया गया, उसकी जरुरत नहीं थी। कश्मीर के बहुत से नेताओं को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। वे सभी अपने शहीदों को याद करना चाहते थे। उन्हें इसकी आजादी दी जानी चाहिए थी।”
उन्होंने कहा कि 13 जुलाई की घटना अंग्रेजों के समय में हुई थी। हर कौम के लोगों को अपने शहीदों को याद करने की इजाजत है। आजादी के बाद जो संविधान बना, उसमें भी सभी को समान अधिकार दिए गए।
चौधरी ने कहा, देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नाथूराम गोडसे को मानते हैं, जबकि उसने महात्मा गांधी को मारा था। फिर, 13 जुलाई के शहीदों को याद किए जाने में क्या दिक्कत है।
बता दें कि 13 जुलाई 1931 को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह के खिलाफ लोगों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू किया था। इस दौरान महाराजा की सेना ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी, जिससे 22 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद कश्मीर में हिंसा फैल गई।
जम्मू के लोग इस कार्यक्रम का विरोध करते रहे हैं। आज़ादी के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला ने इस दिन को सरकारी छुट्टी के रूप में घोषित किया था। केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो इस दिन की छुट्टी रद्द कर दी गई।
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