गुजरात 2025 को शहरी विकास वर्ष के रूप में मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में पहली बार 2005 को शहरी विकास वर्ष के रूप में मनाया था। उस समय से प्रारंभ हुई राज्य की शहरी विकास यात्रा को आज 20 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी शहरी विकास यात्रा को गति के साथ आगे बढ़ाने को संकल्पबद्ध हैं और इसीलिए उन्होंने 20 वर्ष बाद 2025 को फिर एक बार शहरी विकास वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ (एसजेएमएसवीवाई) अंतर्गत छोटे-बड़े सहित सभी शहरों के नागरिकों के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ के सतत प्रयास कर रही है।
गुजरात जब वर्ष 2010 में अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती मना रहा था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2009-10 में ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ लागू की थी और इस योजना के माध्यम से राज्य के बड़े ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों के विकास को बड़ी गति देने का प्रयास किया था।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी शहरी नागरिकों के ईज ऑफ लिविंग में वृद्धि करने के लिए निरंतर एवं उदार मन से धन आवंटन करते आए हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल शहरी विकास के लिए वित्तीय आवंटन में छोटे शहरों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। यही कारण है कि आज राज्य के बड़े-बड़े शहरों की भांति छोटे शहरों में भी विकास कार्यों की धूम है।
राज्य सरकार ने ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ के माध्यम से विशेषकर छोटे शहरों में बुनियादी स्तर की जन सुविधाएं स्थापित करने के विशेष प्रयास किए हैं, जिसके चलते ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ राज्य के छोटे शहरों के लिए ‘बड़ी सरकार’ बन गई है।
इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने वर्ष 2014-15 से 2024-25 यानी पिछले 10 वर्ष में 3,294.97 अर्थात लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की लागत से जल प्रबंधन एवं भूमिगत सीवेज योजना जैसी बुनियादी सुविधाओं के कार्य शुरू किए। इनमें से 2,526.98 करोड़ रुपए के कार्य पूरे होने से अनेक छोटे शहरों के नागरिकों के लिए पानी-सीवेज जैसी बुनियादी सुविधाएं सुलभ बनी हैं और उनके ईज ऑफ लिविंग में वृद्धि हुई है। हाल में भी राज्य के 54 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, जलापूर्ति तथा भूमिगत सीवेज योजना के 1,398.19 करोड़ रुपए के कार्य प्रगत्याधीन हैं।
उल्लेखनीय है कि ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ के क्रियान्वयन के लिए अलग-अलग नोडल एजेंसियों को कामकाज सौंपा गया है और उनमें एक नोडल एजेंसी गुजरात अर्बन डेवलपमेंट कंपनी (जीयूडीसी) भी है, जिसे छोटे शहरों का कार्य सौंपा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जीयूडीसी द्वारा इस योजनांतर्गत मुख्य रूप से राज्य के छोटे शहरों में पिछले 10 वर्षों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), जलापूर्ति योजना तथा भूमिगत सीवेज योजना के विभिन्न विकास कार्य शुरू कराए गए हैं।
‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ अंतर्गत पिछले 10 वर्ष में किए गए जल प्रबंधन के कार्यों ने छोटे शहरों को गंदे-दूषित जल की निकासी से जुड़ी छोटी-छोटी परेशानियों से मुक्त किया है। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट महत्वपूर्ण कार्य हैं। जीयूडीसी द्वारा 283.80 करोड़ रुपए की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कुल 16 प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू किया गया था। इसके तहत मेहसाणा व वडनगर जैसे शहरों में कुल 58.74 करोड़ रुपए के खर्च से दो प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं, जबकि 225.06 करोड़ रुपए की लागत वाले 14 प्रोजेक्ट के तहत गढडा, कठलाल, पाटडी, उपलेटा, सावरकुंडला, बायड, सिद्धपुर, सोजित्रा, वल्लभ विद्यानगर, वंथली, मोडासा, विरमगाम, ठासरा, तरसाडी में कार्य प्रगति पर हैं।
जीयूडीसी ने पिछले 10 वर्ष में राज्य के 8 शहरों में 216.8 करोड़ रुपए की लागत से 10 जलापूर्ति प्रोजेक्ट शुरू किए। इनमें वीजलपोर, तरसाडी, दाहोद फेज-2, वेरावळ-पाटण, पाटण, तरसाडी भाग-2, कनकपुर-कनसाड, सुरेन्द्रनगर, तरसाडी भाग-3 तथा कलोल (इमर्जेंसी वॉर्ड नं. 6) शामिल हैं। इन 10 में से 9 प्रोजेक्ट अंतर्गत कुल 212.95 करोड़ रुपए के कार्य पूरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त 3.85 करोड़ रुपए की लागत से तरसाडी भाग-3 के प्रोजेक्ट के कार्य प्रगत्याधीन हैं। इन प्रोजेक्टों से हजारों शहरी नागरिकों को नियमित जलापूर्ति सुलभ हुई है और उनके ईज ऑफ लिविंग में वृद्धि हुई है।
जीयूडीसी ने ‘स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना’ अंतर्गत भूमिगत सीवेज योजना के 2,255.29 करोड़ रुपए के कार्य पूरे किए हैं। इससे इन शहरों के नागरिकों की स्वच्छता व स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि हुई है। जीयूडीसी ने जिन शहरों मे भूमिगत सीवेज योजनाओं के कार्य पूरे किए हैं, उनमें धोळका, विरमगाम, बगसरा, अमरेली, पेटलाद, खंभात, आणंद, बोरसद, डीसा, पालनपुर, अंकलेश्वर, भरूच, पालीताणा, महुवा, छोटा उदेपुर, देवगढ बारिया, दाहोद, झालोद, कलोल, वेरावळ-पाटण, नडियाद, अंजार, भचाऊ, संतरामपुर, ऊंझा, कडी, मेहसाणा, विसनगर, वडनगर, राजपीपळा, नवसारी, वीजलपोर, बिलीमोरा, गणदेवी, गोधरा, शहेरा, कालोल, सिद्धपुर, पाटण, हिंमतनगर, खेडब्रह्मा, तरसाडी, बारडोली, कनकपुर-कनसाड, मांडवी, सुरेन्द्रनगर, ध्रांगध्रा, वढवाण, सोनगढ, व्यारा, डभोई, वलसाड, वापी, धरमपुर, उमरगाम, पारडी, धोळका और गांधीधाम भूमिगत सीवेज योजनाएं शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त 49 अन्य शहरों के लिए 1,100.83 करोड़ रुपए की लागत से भूमिगत सीवेज योजना के विभिन्न कार्य प्रगतिरत हैं। इनमें कठलाल, मोडासा, धरमपुर, पारडी, बावळा, मोरबी, मुंद्रा-बरोई, उमरेठ, धोळका, वंथली, जंबूसर, उपलेटा, करजण, पालीताणा, उना, गोधरा, विसनगर, वीजापुर, अंजार, ध्रांगध्रा, व्यारा, राधनपुर, तलाला, ठासरा, चाणस्मा, थराद, धोराजी, वेरावळ, गारियाधार, वलभीपुर, बायड, राजूला, जाफराबाद, वापी, कोडीनार, बोरसद, हालोल, हारिज, इडर, ऊंझा, अंकलेश्वर, सावरकुंडला, तरसाडी, वडाली, शिहोर, आमोद, मांडवी (कच्छ), बालासिनोर तथा विरमगाम में भूमिगत सीवेज योजनाओं के कार्य प्रगत्याधीन हैं, तो वापी एवं विरमगाम में 68.25 करोड़ रुपए की लागत से वर्षा जल निकासी (स्टॉर्म वॉटर ड्रैनेज) के कार्य प्रगति पर हैं।
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