August 5, 2025
National

मैसूर ड्रग फैक्ट्री मामला : ‘शर्ट की फोटो’ के जरिए होती थी तस्करी, जांच में बड़ा खुलासा

Mysore drug factory case: Smuggling was done through ‘photo of shirt’, big revelation in investigation

कर्नाटक के मैसूर में पकड़ी गई 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री के मामले में मुंबई की साकीनाका पुलिस ने जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस मामले में महाराष्ट्र तक ड्रग्स की तस्करी के लिए एक अनोखा और बेहद गुप्त तरीका अपनाया गया था। पुलिस के मुताबिक, इस नेटवर्क में ‘शर्ट की फोटो’ को कोडवर्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।

जांच में सामने आया कि ड्रग्स की सप्लाई और निर्माण की प्रक्रिया दो अलग-अलग गिरोहों द्वारा अंजाम दी जा रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि इन दोनों गैंग के सदस्य एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। यही इस पूरे ऑपरेशन की सबसे खतरनाक और शातिर ‘मॉडस ओपेरेंडी’ थी। इस तरह की व्यवस्था से नेटवर्क की परतें खोलना बेहद मुश्किल हो जाता है।

साकीनाका पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मैसूर में तैयार की गई एमडी ड्रग्स की खेप को एक गैंग सबसे पहले बेंगलुरु पहुंचाता था। वहां मुंबई गैंग का एक सदस्य पहले से मौजूद होता था। इसके बाद खेप लाने वाले व्यक्ति को एक शर्ट की फोटो व्हाट्सएप पर भेजी जाती थी, ताकि वह व्यक्ति उसी शर्ट को देखकर सही व्यक्ति को माल सौंप सके। इस तरह खेप को बेंगलुरु से मुंबई तक लाया जाता था। यहां इसे मुंबई के विभिन्न इलाकों में स्थानीय सप्लायर्स के जरिए वितरित किया जाता था। ड्रग्स का पूरा ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम सड़क मार्ग पर आधारित था, ताकि हवाई या ट्रेन मार्गों में होने वाली जांच से बचा जा सके।

पुलिस जांच में सामने आया है कि यह नेटवर्क ड्रग्स को बसों और निजी वाहनों के माध्यम से ट्रांसपोर्ट करता था। मैसूर से बेंगलुरु और फिर मुंबई तक का सफर तय कर ड्रग्स को छिपाकर पहुंचाया जाता था। इस तरह की रणनीति से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने में काफी हद तक सफलता भी मिली।

इस मामले में अब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की भी एंट्री हो चुकी है। सोमवार को आईबी अधिकारियों ने गिरफ्तार आरोपियों से लंबी पूछताछ की। जांच एजेंसियों को शक है कि यह ड्रग्स फैक्ट्री सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का हिस्सा हो सकती है। साथ ही यह भी आशंका है कि इसका लिंक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से भी हो सकता है।

साकीनाका पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब इस ऑपरेशन के पीछे की पूरी चेन, फंडिंग सोर्स, मास्टरमाइंड और सप्लायर्स नेटवर्क को खंगालने में जुट गई हैं।

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