शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के उपाध्यक्ष और खडूर साहिब के पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा ने रविवार को अलग हुए अकाली गुटों द्वारा नवगठित राजनीतिक संगठन पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि इसके नेताओं ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए पंथ की पीठ में छुरा घोंपा है।
यहां जारी एक बयान में ब्रह्मपुरा ने कहा कि अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा एक राजनीतिक गुट की अध्यक्षता स्वीकार करना “सिख परंपराओं का उल्लंघन” है और इससे समुदाय के सामने उनके “दोहरे मानदंड” उजागर हुए हैं।
उन्होंने कहा, “पद की लालसा से प्रेरित ये नेता अपने निजी स्वार्थ के लिए एकजुट हो गए हैं और पंथ को बांटने के महापाप के दोषी बन गए हैं।”
ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सीधी आलोचना करते हुए ब्रह्मपुरा ने कहा, “यह बेहद हैरानी की बात है कि वही ज्ञानी जी, जिन्होंने कभी श्रद्धेय अकाल तख्त साहिब से पंथक एकता का आह्वान किया था और जिनकी सलाह पर हम अपनी मूल पार्टी में वापस लौटे थे, अब उन महान सिद्धांतों को दरकिनार कर एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं, जिससे पंथ के भीतर विभाजन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि पंथ ने हमेशा दो प्राथमिक संस्थाओं को मान्यता दी है: धार्मिक प्रचार के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) और समुदाय के राजनीतिक अधिकारों के लिए शिरोमणि अकाली दल।
ब्रह्मपुरा ने दावा किया कि बागियों ने यह साबित कर दिया है कि उनकी लड़ाई पंथ के लिए नहीं बल्कि शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ व्यक्तिगत लड़ाई है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जब हमने पहले पंथ के कल्याण के लिए कुछ मुद्दों पर पार्टी से नाता तोड़ लिया था, तो इनमें से कोई भी नेता हमारे साथ जुड़ने को तैयार नहीं था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका उद्देश्य कभी भी पंथ की सेवा करना नहीं था, बल्कि केवल सत्ता हासिल करना था।’’
सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए ब्रह्मपुरा ने एकता के लिए उनकी हालिया अपील की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, “सुखबीर सिंह बादल ने बड़े दिल और विनम्रता के साथ सभी से वापस लौटने की अपील की। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर उन्होंने कोई गलती की है तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन पंथ की इस महान संस्था को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। उनकी पंथ-केंद्रित अपील को खारिज करके इन नेताओं ने साबित कर दिया है कि उनके लिए व्यक्तिगत पद पंथ से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।”
ब्रह्मपुरा ने पंथ के सभी समर्थकों से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने आग्रह किया, “शिरोमणि अकाली दल हमारी मातृ पार्टी है और इसे मज़बूत करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। आइए, सुखबीर सिंह बादल के दूरदर्शी और कुशल नेतृत्व में, हम शिरोमणि अकाली दल को फिर से नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ और 2027 में पंजाब में पंथ, पंजाब और पंजाबियत की अपनी सरकार स्थापित करें।”
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