August 17, 2025
Entertainment

रमेश सिप्पी ने बताया कि ‘शोले’ में जया बच्चन को क्यों दिए गए थे कम डायलॉग

Ramesh Sippy told why Jaya Bachchan was given fewer dialogues in ‘Sholay’

1975 में स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज हुई रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ ने अपने 50 साल पूरे कर लिए हैं। पचास साल के सफर में शोले सिर्फ एक फिल्म नहीं रही, बल्कि यह दर्शकों के बीच एक अलग ही पहचान बना चुकी है।

मशहूर लेखक जोड़ी सलीम-जावेद द्वारा लिखी गई शोले आज भी हिंदी सिनेमा का अनमोल रत्न मानी जाती है। इस फिल्म में जया बच्चन भी थीं, जिन्होंने राधा का रोल प्ले किया था, लेकिन इसमें उनके बहुत कम ही डायलॉग हैं। ऐसा क्यों था, इस राज से रमेश सिप्पी ने पर्दा उठाया।

आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत के दौरान जब रमेश सिप्पी से पूछा गया कि फिल्म में जया बच्चन के ज्यादा संवाद नहीं थे, क्या आपको लगता है कि महिला किरदार को कमतर आंका गया है?” इस पर फिल्म निर्माता ने जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं।”

अपनी बात को आगे समझाते हुए रमेश सिप्पी ने कहा, “हालांकि जया जी फिल्म में विधवा की भूमिका निभाते हुए चुप थीं, लेकिन वह इतनी अद्भुत कलाकार हैं कि वह अपनी आंखों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम थीं। अमित जी (अमिताभ बच्चन) के साथ भी ऐसा ही था। अपने एक्शन सीन्स के अलावा, उन्हें इस बात का भी मान रखना था कि राधा एक विधवा और घर की बहू थीं।”

उन्होंने यह भी बताया कि शोले की पूरी कहानी संजीव कुमार के उस बदले के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गब्बर द्वारा अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद उभरता है। इसलिए जया बच्चन का फिल्म में कुछ ही संवाद हों, यह किरदार और कहानी के हिसाब से ठीक था।

‘शोले’ में धर्मेंद्र (वीरू) और अमिताभ बच्चन (जय) दो छोटे अपराधी हैं, जिन्हें एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी (संजीव कुमार) गब्बर सिंह नाम के खूंखार डाकू को पकड़ने के लिए लाते हैं। फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के रामनगरम की पहाड़ी और पथरीली जगहों पर की गई थी।

शूटिंग अक्टूबर 1973 में शुरू हुई थी और इसे पूरा होने में ढाई साल लगे थे। शुरुआत में फिल्म को आलोचकों से अच्छे रिव्यू नहीं मिले थे, और इसकी कमाई भी कुछ खास नहीं हुई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे दर्शकों की तारीफ और सकारात्मक बातों ने इसे सुपरहिट बना दिया था।

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