August 19, 2025
National

विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलीं राष्ट्रपति मुर्मू, कहा- भारत की आत्मा का राजदूत बनकर कार्य करें

President Murmu met the trainee officers of Foreign Service, said- work as ambassadors of the soul of India

भारतीय विदेश सेवा (2024 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। मंगलवार को यह मुलाकात राष्ट्रपति भवन में हुई। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने अधिकारियों को भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने के लिए बधाई दी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुरोध करते हुए कहा कि आप हमारे सभ्यतागत ज्ञान के मूल्यों (शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद) को अपने साथ लेकर चलें। साथ ही, अपने सामने आने वाली हर संस्कृति के विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों के प्रति खुले रहें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें अपने सामने आने वाली हर संस्कृति के विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों के प्रति खुला रहना चाहिए।

मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, “आसपास की दुनिया भू-राजनीतिक बदलावों, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और विवादित बहुपक्षवाद के संदर्भ में तेजी से बदलाव देख रही है। युवा अधिकारियों के रूप में आपकी चपलता और अनुकूलनशीलता हमारी सफलता की कुंजी होगी।”

राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच असमानता से उत्पन्न समस्याएं हों, सीमापार आतंकवाद का खतरा हो या जलवायु परिवर्तन के निहितार्थ हों, भारत विश्व की प्रमुख चुनौतियों के समाधान का एक अनिवार्य हिस्सा है। भारत न सिर्फ विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि एक निरंतर उभरती हुई आर्थिक शक्ति भी है। हमारी आवाज का महत्व है। उन्होंने आगे कहा कि राजनयिकों के रूप में, भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी भारत का पहला चेहरा होंगे जिसे दुनिया उनके शब्दों, कार्यों और मूल्यों में देखेगी।

राष्ट्रपति ने आज के समय में सांस्कृतिक कूटनीति के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हृदय और आत्मा से बने संबंध हमेशा मजबूत होते हैं। चाहे वह योग हो, आयुर्वेद हो, श्रीअन्न हों या भारत की संगीत, कलात्मक, भाषाई और आध्यात्मिक परंपराएं हों, अधिक रचनात्मक और महत्वाकांक्षी प्रयास इस विशाल विरासत को विदेशों में प्रदर्शित और प्रचारित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे कूटनीतिक प्रयास हमारी घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य के साथ निकटता से जुड़े होने चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे स्वयं को न सिर्फ भारत के हितों का संरक्षक समझें, बल्कि उसकी आत्मा का राजदूत भी समझें।

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