चंडीगढ़ को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-7 की हालत सिरमौर ज़िले के ग्रामीण कच्चे रास्तों से भी बदतर हो गई है। देहरादून, पांवटा साहिब, काला अंब और चंडीगढ़ को जोड़ने वाला यह महत्वपूर्ण राजमार्ग पिछले पाँच महीनों से यात्रियों के लिए परेशानी का एक बड़ा कारण बन गया है।
सिरमौर के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पांवटा साहिब और काला अंब से होकर गुजरने वाला यह मार्ग वाहन चालकों के लिए दुःस्वप्न बन गया है। स्थानीय लोग व्यंग्यात्मक लहजे में कहते हैं कि यह बताना मुश्किल है कि सड़क गड्ढों से भरी है या गड्ढे ही सड़क हैं। हिमाचल-हरियाणा सीमा पर मुख्य अवरोधक से लेकर सैनवाला तक, सड़क की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं, इतने ज़्यादा कि उन्हें गिनना लगभग नामुमकिन है।
हाल ही में हुई भारी बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे गड्ढों में पानी भर गया है और सड़क को और नुकसान पहुँचा है। जहाँ भारी वाहनों को बार-बार ब्रेकडाउन और महंगी मरम्मत का सामना करना पड़ता है, वहीं दोपहिया वाहन चालकों को गंभीर दुर्घटना का खतरा बना रहता है। रात में, जब पानी से भरे गड्ढे दिखाई नहीं देते, तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है, जिससे राजमार्ग एक खतरनाक मार्ग बन जाता है।
एनएच-7 की खस्ता हालत पांवटा साहिब और काला अंब में संचालित औद्योगिक इकाइयों के लिए भी भारी बोझ बन गई है। मालिक और कर्मचारी दोनों ही देरी, घाटे और असुरक्षित यात्रा परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और स्थिति और बिगड़ने से पहले राजमार्ग को बहाल करने का आग्रह किया है।
इस भयावह सच्चाई के बावजूद, सिरमौर में राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार अधिकारी उदासीन दिखाई दे रहे हैं। यात्रियों का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने इस संकट की ओर से आँखें मूंद ली हैं।
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