September 1, 2025
National

केरल: कोझिकोड और वायनाड को जोड़ने वाली राज्य की सबसे लंबी सुरंग परियोजना का शुभारंभ

Kerala: State’s longest tunnel project connecting Kozhikode and Wayanad launched

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार को कोझिकोड और वायनाड जिलों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित अनाक्कमपोयिल-कल्लाडी-ट्विन टलन फोर लेन परियोजना का विधिवत शिलान्यास किया।

यह आयोजन अन्नक्कमपोयिल स्थित सेंट मैरी स्कूल ग्राउंड में आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री ने इसे केरल के परिवहन विकास का मील का पत्थर बताया और कहा कि यह परियोजना एलडीएफ के 2021 के चुनावी वादों में प्रमुख स्थान पर थी।

देश की तीसरी सबसे लंबी और केरल की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही यह परियोजना न केवल वायनाड घाटी रोड पर ट्रैफिक का दबाव कम करेगी, बल्कि व्यापार, पर्यटन और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नया प्रोत्साहन देगी।

इस सुरंग मार्ग की कल्पना सबसे पहले 1990 के दशक के अंत में की गई थी। इसे उस समय के सीपीआई(एम) विधायक मथाई चाको ने प्रस्तावित किया था, जिसे उनके उत्तराधिकारी जॉर्ज एम. थॉमस ने आगे बढ़ाया। उन्होंने पारंपरिक वन सड़क के बजाय सुरंग निर्माण को ज्यादा व्यवहारिक और पर्यावरण अनुकूल विकल्प बताया था।

इस 2,134.5 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना की कुल लंबाई 8.73 किमी है, जिसमें 5.58 किमी वायनाड और 3.15 किमी कोझिकोड जिले में पड़ती है।

इसमें से 8.1 किमी हिस्सा ट्विन-ट्यूब सुरंग के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें चार-लेन ट्रैफिक की सुविधा होगी। यह नया लिंक अन्नक्कमपोयिल और मेप्पाड़ी के बीच की यात्रा को 42 किमी से घटाकर सिर्फ 22 किमी कर देगा, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।

इस परियोजना के मुख्य निर्माण कार्य की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित दिलीप बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई है, जबकि रॉयल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी संपर्क सड़कों का निर्माण करेगी।

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड इस परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी होगी और किटको लिमिटेड को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।

इस सुरंग में वेंटिलेशन सिस्टम, फायर फाइटिंग यूनिट, सीसीटीवी निगरानी, ट्रैफिक सिग्नल, टनल रेडियो, आपातकालीन कॉल प्वाइंट और प्रकाशित एस्केप रूट जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद रहेंगी।

हालांकि, यह परियोजना राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों और स्थानीय समुदायों ने पर्यावरणीय चिंता भी जताई है। वे वायनाड जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण कार्य को लेकर सतर्कता की मांग कर रहे हैं, विशेषकर पिछले वर्ष मुण्डक्काई-चूरलमाला भूस्खलन जैसी त्रासदियों को ध्यान में रखते हुए।

Leave feedback about this

  • Service