शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज घोषणा की कि अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूलों और कॉलेजों में बागवानी को व्यावसायिक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। उन्होंने शिमला में एक बैठक की अध्यक्षता की जिसमें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
उन्होंने कहा, “कक्षा 9 से 12 तक तथा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर बागवानी पाठ्यक्रमों का एकीकरण, बच्चों को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में वैज्ञानिक ज्ञान, व्यावहारिक कौशल और उद्यमशीलता की योग्यता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।”
ठाकुर ने बागवानी को हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया, जो सेब, आम, खट्टे फल और अन्य उपज के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान देती है। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए तैयार करेगा, बल्कि फलों की खेती, प्रसंस्करण, विपणन और संबद्ध उद्योगों में रोजगार और उद्यमिता के अवसर भी प्रदान करेगा।
मंत्री ने शिक्षा विभाग को सभी आवश्यक औपचारिकताएँ जल्द से जल्द पूरी करने के निर्देश दिए ताकि अगले शैक्षणिक सत्र से इस विषय को शुरू किया जा सके। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्कूलों में बागवानी पढ़ाने से बच्चों में टिकाऊ कृषि, पर्यावरण संतुलन और राज्य की समृद्ध कृषि परंपराओं के प्रति जागरूकता पैदा होगी।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हिमाचल की लगभग 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है, इसलिए हमारे बच्चों को बागवानी को सिर्फ़ आजीविका के साधन के रूप में नहीं, बल्कि एक आधुनिक, लाभदायक और सम्मानजनक करियर विकल्प के रूप में देखने के लिए तैयार रहना होगा।” उन्होंने आगे कहा कि बागवानी को शिक्षा में शामिल करने से कक्षा में पढ़ाई और व्यावहारिक प्रयोग के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
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