केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गुरुवार को यहां दौरे के दौरान रावी नदी में अवैध रेत खनन का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। इस यात्रा के दौरान उनके साथ केंद्रीय रेल मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और वरिष्ठ पार्टी नेता तरुण चुघ सहित प्रमुख भाजपा नेता मौजूद थे।
किसानों का आरोप है कि धुस्सी बांधों (मिट्टी के तटबंधों) पर अवैध रेत खनन ने उन्हें कमज़ोर कर दिया है जिससे स्थिति और बिगड़ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश के बाद बांधों से अचानक पानी आने से ये तटबंध टूट गए और बाढ़ आ गई।
बाढ़ के कारण पूरी फसल नष्ट हो गई और सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए। सत्तारूढ़ आप के सरपंच पृथ्वीपाल सिंह ने केंद्रीय मंत्री से तटबंधों को मजबूत करने का आग्रह किया। अरैया गांव के बलजीत सिंह ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि यह क्षेत्र 1988, 1994, 1995 और 2023 में भी बाढ़ से प्रभावित हुआ था, लेकिन इस बार पहले की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है।
बलजीत सिंह ने केंद्रीय मंत्री से कहा, “मंत्री और राजनीतिक नेता आपसे मिलेंगे। लेकिन कृपया किसानों से मिलें, जो आपको ज़मीनी हक़ीक़त के बारे में बताएँगे।” उन्होंने कहा कि इसीलिए वह व्यक्तिगत रूप से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने आए हैं।
भाजपा नेता अमरपाल सिंह बोनी अजनाला ने आरोप लगाया कि आप नेताओं के प्रभाव में अवैध रेत खनन बेरोकटोक जारी है, जबकि इसके कारण कमज़ोर हुए धुस्सी बांधों की मरम्मत के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। इसके अलावा, पिछले 10 सालों में गाद निकालने का कोई काम नहीं किया गया, जिसके कारण इस साल यह त्रासदी हुई।
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