September 5, 2025
National

‘गलत बोलने वाले नेताओं को 99 रुपये में पढ़ा देंगे’, बिहार को ‘बीड़ी’ कहने पर खान सर का करारा जवाब

‘Will teach wrong-speaking politicians for 99 rupees’, Khan Sir’s befitting reply to Bihar being called a ‘bidi’

कांग्रेस की केरल इकाई द्वारा बिहार की तुलना ‘बीड़ी’ से किए जाने के बाद सियासी बयानबाजियां तेज हो गई हैं। इस बयान पर मशहूर शिक्षक खान सर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता गलत तरीके से बोलता है, तो उन्हें हमारे पास भेजिए, हम उन्हें पढ़ा देंगे। खान सर ने इस दौरान कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय व्यक्त की।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से शुक्रवार को खास बातचीत में खान सर ने जीएसटी सुधारों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के लिए एक विशेष संदेश भी साझा किया, जिसमें शिक्षा के महत्व और नैतिक मूल्यों पर जोर दिया।

कांग्रेस की केरल इकाई की टिप्पणी पर खान सर ने कहा कि हम राजनीति नहीं करते, हम राजनीति पढ़ाते हैं। अगर कोई नेता गलत तरीके से बोलता है तो उन्हें हमारे पास भेजिए, हम उन्हें पढ़ा देंगे। जिनको शिक्षा की कमी है, उन्हें महज 99 रुपए में राजनीति पढ़ा देंगे। अगर उनके पास पैसे नहीं होंगे तो मुफ्त में पढ़ा देंगे। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि बिहार को ‘बीड़ी’ से तुलना की जाए। जो भी ऐसा कर रहे हैं, उन्हें राजनीति सीखने की जरूरत है और हम सिखाने को तैयार हैं।

जीएसटी सुधारों पर टिप्पणी करते हुए खान सर ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी जी के इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने के लिए आभारी हैं। जहां लग्जरी सामान पर जीएसटी बढ़ाया गया। वहीं, हेल्थकेयर और शिक्षा से जुड़ी कुछ चीजों पर इसे कम किया गया। हमारी उम्मीद है कि 26 जनवरी तक, जब यह मुद्दा फिर उठेगा, तो शिक्षा पर 18 फीसदी जीएसटी या तो 5 फीसदी कर दिया जाए या पूरी तरह हटा दिया जाए। यह हमारी गुजारिश है और हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे जरूर सुनेंगे। हम पिछले एक साल से जीएसटी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, हर जगह इसकी बात कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री का धन्यवाद है कि उन्होंने शिक्षा और खासकर इंश्योरेंस में जीएसटी कम किया।

शिक्षक दिवस पर खान सर ने छात्रों को पढ़ाई पर फोकस रखने की अपील की। वहीं, शिक्षकों से उन्होंने कहा कि वे शिक्षा को व्यवसाय न बनाएं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को देखिए, उन्होंने शिक्षा को कभी व्यापार नहीं बनाया।

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