September 8, 2025
Punjab

अनुकंपा नियुक्ति में देरी पर हाईकोर्ट ने की कड़ी आलोचना, उच्च पद देने को बताया ‘घृणित’

High Court strongly criticized the delay in compassionate appointment, called giving high post ‘disgusting’

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अनुकंपा नियुक्ति मामले को गलत तरीके से निपटाने के लिए पंजाब पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि उन्होंने “कानून के अनुसार अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया है।”

यह चेतावनी एक ऐसे मामले में आई है, जिसमें 2010 में स्वीकृत अनुकंपा नियुक्ति को 2020 में एक “उच्च” पद के लिए जारी किए जाने से पहले एक दशक तक बेवजह विलंबित किया गया था, जिसे अदालत ने “घृणित और सेवा न्यायशास्त्र के खिलाफ” करार दिया।

न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने यह फैसला एक याचिका पर सुनाया, जिसमें पंजाब राज्य और अन्य प्रतिवादियों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे उनकी नियुक्ति की तारीख 16 जुलाई, 2010 मानकर पदोन्नति पर विचार करें, क्योंकि उस तारीख का सिफारिश पत्र और 21 सितंबर, 2010 का एक अन्य पत्र-व्यवहार है।

सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता के पिता का सेवाकाल के दौरान निधन हो गया था, जिसके बाद डीजीपी ने एएसआई के पद पर नियुक्ति के लिए उनके नाम की अनुशंसा की थी। गृह विभाग ने 21 सितंबर, 2010 के पत्र द्वारा डीजीपी को सूचित किया था कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति सरकारी निर्देशों के अनुसार की जा सकती है। लेकिन याचिकाकर्ता को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया।

पीठ को यह भी बताया गया कि उन्हें 15 जुलाई, 2011 को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। मुख्यमंत्री ने 26 दिसंबर, 2018 के पत्र के माध्यम से अधिकारियों को सूचित किया कि याचिकाकर्ता का मामला पूरी तरह से सरकारी निर्देशों के अंतर्गत आता है।

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