मारकंडा नदी और अन्य नहरों तथा नदियों के उफान पर होने के कारण बड़ी संख्या में गांवों और शहरी क्षेत्रों में जलभराव होने के बाद स्वास्थ्य विभाग प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए गहन उपाय कर रहा है।
स्वास्थ्य विभाग जलभराव वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को संभावित बीमारियों और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी शिक्षित कर रहा है।
जानकारी के अनुसार, 3 सितंबर से अब तक चिकित्सा दल 230 से ज़्यादा गाँवों और 17 वार्डों का दौरा कर चुके हैं। विभाग ने 151 स्वास्थ्य शिविर भी लगाए हैं जिनमें 2,040 लोगों की जाँच की गई। इसके अलावा, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा 326 गाँवों और 167 वार्डों में आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियाँ भी चलाई गईं। 3,120 से ज़्यादा जलाशयों और कुओं का क्लोरीनीकरण किया गया और 4,000 से ज़्यादा ओआरएस के पैकेट वितरित किए गए।
टीमों ने 46 जीवाणुजनित जल नमूनों की जाँच भी की, जिनमें से 10 पीने योग्य नहीं पाए गए। स्वास्थ्य शिविरों के दौरान, 272 लोग बुखार से, 177 त्वचा रोगों से, 59 आंत्रशोथ से, 16 नेत्रश्लेष्मलाशोथ से और 13 पेचिश से पीड़ित पाए गए।
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि नदी का पानी खेतों से होकर बह रहा है, इसलिए गांवों को जोड़ने वाली सड़कें भी जलमग्न हो गई हैं और ट्रैक्टर-ट्रेलर ही आवागमन का एकमात्र साधन हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें ट्रैक्टर-ट्रेलरों से गांवों में जाकर चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं।
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