बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने गुरुवार को कांग्रेस सरकार पर ग्रुप-1 के पदों को कथित तौर पर बेचकर तेलंगाना में हजारों बेरोजगार युवाओं की आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और न्यायिक जांच की मांग की।
उन्होंने छात्रों के उन आरोपों का उल्लेख किया जिसमें नौकरियों के एवज में भारी रकम वसूलने की बात कही जा रही है।
केटीआर ने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार ने खुले बाजार में नौकरियों की “नीलामी” की, जिससे उन लाखों उम्मीदवारों की उम्मीदें टूट गईं जिन्होंने वर्षों तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की, अपना बहुमूल्य समय और अपने माता-पिता की मेहनत की कमाई लगाई।
उन्होंने मांग की कि सरकार मीडिया में ग्रुप-I अभ्यर्थियों की ओर से लगाए जा रहे गंभीर आरोपों पर तुरंत प्रतिक्रिया दे, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पदों के बदले करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है।
उच्च न्यायालय के पूर्व निर्देशों पर प्रकाश डालते हुए, केटीआर ने जोर देकर कहा कि ग्रुप-I की प्रारंभिक परीक्षा पारदर्शी तरीके से दोबारा आयोजित की जाए, ताकि अनियमितताओं की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने बड़े पैमाने पर हुई “गड़बड़ी” की जांच और सरकारी नौकरियों को “बेचने” वालों को सामने लाने के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन की मांग की।
केटीआर ने ग्रुप-I घोटाले पर बहस करने और कांग्रेस सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि केवल एक गहन न्यायिक जांच और पारदर्शी पुनर्मूल्यांकन ही बेरोजगार युवाओं को “न्याय” दिला सकता है और भविष्य में “ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति” को रोक सकता है।
केटीआर ने आरोप लगाया, “कांग्रेस सरकार ग्रुप-I की परीक्षाएं आयोजित करने में बुरी तरह विफल रही है, जिससे बेरोजगार युवाओं का भविष्य अनिश्चितता में है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की “अक्षमता और धन के लालच” के कारण ये अनियमितताएं हुईं। केटीआर ने कहा, “नौकरियां बेचकर कांग्रेस ने बेरोजगारों का गला काट दिया है।”
केटीआर ने वर्तमान परिदृश्य की तुलना बीआरएस सरकार के कार्यकाल से की और दावा किया कि उस दौरान भर्तियां पारदर्शी तरीके से की गई थीं।
उन्होंने आगे कहा, “आज कांग्रेस ने भर्तियों को एक धंधा बना दिया है, पदों के लिए करोड़ों रुपये वसूल रही है।” उन्होंने चेतावनी दी कि युवा इस विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेंगे।
इसके साथ ही बीआरएस नेता ने कांग्रेस सरकार से मांग की कि एक साल के भीतर दो लाख नौकरियां देने के अपने अधूरे चुनावी वादे पर विचार-विमर्श के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाए।
उन्होंने सरकार से बेरोजगारी संकट की गंभीरता को समझने और युवाओं को खोखले आश्वासनों से धोखा देने के बजाय ठोस कदम उठाकर ईमानदारी दिखाने का आग्रह किया।
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