September 17, 2025
National

युगवीर सिंह ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, पीएम मोदी को 75वें जन्मदिन पर किया समर्पित

Yugveer Singh sets world record, dedicates it to PM Modi on his 75th birthday

गुजरात के कच्छ से आने वाले सात वर्षीय युगवीर सिंह जडेजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन को विशेष बनाने के लिए अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि उन्हें समर्पित की है।

युगवीर ने गणित के जटिल स्थिरांक ‘पाई’ के 200 दशमलव अंकों को बंद आंखों से मात्र 24 सेकंड में बोलकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। इस असाधारण उपलब्धि को वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया ने आधिकारिक रूप से मान्यता दी है।

आईएएनएस से बातचीत में युगवीर सिंह जडेजा ने कहा कि मैंने ‘पाई’ के 200 अंक याद करके वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया में जगह बना ली है। यह विचार मूल रूप से मेरे गुरु, योगेश सर का था, जिन्होंने मुझे अंक दिखाए और धीरे-धीरे मुझे उन्हें चरण दर चरण याद करना सिखाया। उन्होंने अपनी इस सफलता के लिए अपने माता-पिता को क्रेडिट दिया।

युगवीर ने आगे कहा कि वे आगे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाना चाहते हैं, साथ ही तीन सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एयर स्पेस साइंस पसंद है और इसरो में जाने का सपना है। वे बड़े होकर देश की सबसे जटिल परीक्षा यूपीएससी देना चाहते हैं। इसके अलावा, वे जेईई परीक्षा भी देना चाहते हैं।

युगवीर के पिता जसपाल सिंह जडेजा ने कहा कि युगवीर ने हाल ही में वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया के तहत मात्र 24 सेकंड में (पाई) के 200 अंक बताकर एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है। इसके लिए तैयारी करना लगभग असंभव लग रहा था, लेकिन युगवीर की कड़ी मेहनत, लगन और असाधारण स्मरण शक्ति ने इसे संभव बना दिया।

कच्छ की धरती ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। मात्र 7 वर्ष की छोटी उम्र में युगवीर सिंह जडेजा ने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता, एकाग्रता और समर्पण से गणित के जटिल स्थिरांक (पाई) के 200 दशमलव अंकों को बंद आंखों से केवल 24 सेकंड में बोलकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। इस उपलब्धि ने न केवल कच्छ और गुजरात, बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है।

वे भुज के एक सामान्य परिवार से आने वाले असाधारण बालक हैं, जो अब दुनिया भर में सबसे तेज और सबसे कम उम्र के बच्चे के रूप में प्रसिद्ध हो गए हैं। वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया ने उनकी इस उपलब्धि को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है, और उनका नाम विश्व रिकॉर्ड के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया है। उनके परिवार की ओर से बताया गया कि उन्होंने 70 दिनों की गहन तैयारी में इस असंभव-सी उपलब्धि को हासिल किया।

इस दौरान उन्होंने योग प्रशिक्षक की मदद से 15 से 20 दिनों तक लगातार योग साधना की, जिसने उनकी एकाग्रता और मानसिक शांति को और मजबूत किया। उनकी इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का अहम योगदान रहा। उन्होंने युगवीर को बचपन से ही अनुशासन, समर्पण और निरंतर प्रोत्साहन देकर उसकी प्रतिभा को निखारा।

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