राज्य सरकार ने आज हरित पंचायत योजना को अधिसूचित किया जिसके तहत 100 पंचायतों में बंजर या बंजर सरकारी भूमि पर सौर ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित की जाएँगी। इन परियोजनाओं से होने वाली आय क्षेत्र में हरित पहलों और विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश की प्रचुर सौर ऊर्जा क्षमता का दोहन करके इसे 2026 तक ‘हरित ऊर्जा राज्य’ बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह योजना अधिसूचित की गई है। इस योजना के तहत, 100 पंचायतों में बंजर सरकारी भूमि पर 500 किलोवाट (एसी) क्षमता वाले भू-स्थित सौर संयंत्र स्थापित किए जाएँगे।
पंचायतें सौर ऊर्जा उत्पादन से प्राप्त आय का उपयोग सरकारी भवनों में ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर संयंत्रों की स्थापना, प्राकृतिक जल निकायों का पुनरुद्धार, सौर कृषि पंपों की स्थापना, वनीकरण और वृक्षारोपण अभियान, कचरे का संग्रह और निपटान जैसी हरित पहलों पर करेंगी।
इस योजना का उद्देश्य उपभोग स्थल के निकट ही बिजली उत्पादन करना है, क्योंकि इससे पारेषण और वितरण घाटे को कम करने, दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में मदद मिलेगी। इस कदम का उद्देश्य पंचायत और ग्राम स्तर पर विकेन्द्रीकृत बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना भी है।
इन सौर संयंत्रों से प्राप्त बिजली की बिक्री से प्राप्त राजस्व का 30 प्रतिशत पंचायतों को मिलेगा। प्राप्त राजस्व क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा। योजना के अनुसार, यदि चयनित भूमि संबंधित ग्राम पंचायत की संपत्ति के रूप में दर्ज है, तो वह अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करेगी। हिमऊर्जा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगी और सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए ठेकेदारों को आमंत्रित करेगी।
केंद्र सरकार के नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के तहत, हिमाचल प्रदेश को 2030 तक 1,995 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। इन सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए स्थल का चयन दक्षिणमुखी दिशा, न्यूनतम एक हेक्टेयर क्षेत्र, पेड़ों की अधिक वृद्धि से मुक्त और अधिमानतः 11 केवी ट्रांसमिशन लाइन के 500 मीटर के भीतर जैसे मानदंडों पर आधारित होगा।
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