निर्माण मानदंडों को और सख्त बनाने के प्रयासों, खासकर हाल की प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए, का विरोध हो रहा है। शिमला नगर निगम (एसएमसी) के पार्षद राज्य की राजधानी में घाटी की ओर सड़क के स्तर से नीचे निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
कल यहाँ नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के निदेशक के समक्ष आयोजित एक जन सुनवाई में 12 से अधिक पार्षदों ने इस अधिसूचना पर अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराईं। 7 जून, 2025 को नगर एवं ग्राम नियोजन (टीसीपी) विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर सभी चिन्हित राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और शिमला नगर निगम क्षेत्राधिकार के भीतर पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क से एक मीटर नीचे घाटी की ओर सभी निर्माणों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अधिसूचना जारी की थी कि घाटी की ओर का दृश्य बाधित न हो। पहले के भवन निर्माण मानदंडों के अनुसार, घाटी की ओर निर्माण सड़क की सतह से 1.5 मीटर ऊपर तक ही सीमित था। राज्य में कई इमारतों के ढहने और क्षतिग्रस्त होने के बावजूद, आम लोग कड़े भवन मानदंडों के विरोध में हैं और इस अधिसूचना का भी विरोध कर रहे हैं।
पार्षदों के अलावा, कई लोगों ने भी अधिसूचना पर अपना विरोध दर्ज कराया। टीसीपी विभाग सभी आपत्तियों और सुझावों को राज्य सरकार को भेजेगा, जो अंतिम निर्णय लेगी। अधिकांश लोगों ने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर निर्माण पर प्रतिबंध लगाना समझ में आता है, क्योंकि इससे घाटी का दृश्य खराब होता है, लेकिन शहर के भीतर यह अव्यावहारिक है।
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