केंद्र द्वारा बुधवार को घोषित गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (2,585 रुपये प्रति क्विंटल) ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित किसानों को निराश किया है। पिछले पाँच दशकों में यह पहली बार है जब गेहूं के दाम में 160 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।
किसानों को उम्मीद थी कि केंद्र अगली फसल के लिए ज़्यादा एमएसपी की घोषणा करके उनके नुकसान की भरपाई करेगा। राज्य के छह ज़िलों में बाढ़ से खड़ी धान और कपास की फ़सल तबाह होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। बीकेयू (उगराहां) के वरिष्ठ नेता शिंगारा सिंह मान ने कहा, “खेती की लागत बढ़ रही है, लेकिन गेहूँ का सरकारी मूल्य उस हिसाब से नहीं बढ़ रहा है। किसानों को इस साल गाद हटाने के लिए डिस्क हैरो ट्रैक्टर चलाने में ज़्यादा डीज़ल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। मुझे हैरानी है कि इस समय भी केंद्र ने बढ़ी हुई लागत को ध्यान में रखते हुए एमएसपी नहीं बढ़ाया है।”
कीर्ति किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि गेहूं की कीमतों में वृद्धि उन किसानों के साथ मजाक है, जिन्होंने हाल ही में आई बाढ़ के कारण अपनी फसल खो दी है।
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