पूर्वी पंजाब आवश्यक सेवा (रखरखाव) अधिनियम (एस्मा) के तहत कार्रवाई की चेतावनी के बाद, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक और आदेश जारी कर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल कर रहे नर्सिंग कर्मचारियों को शुक्रवार, 3 अक्टूबर को सुबह 9 बजे तक काम पर लौटने को कहा है।
आज आठवें दिन भी जारी इस विरोध प्रदर्शन के कारण पटियाला, अमृतसर और मोहाली के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में सेवाएं बाधित हुई हैं।
पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में, यूनाइटेड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ पंजाब और शहीद भगत सिंह नर्सिंग यूनियन की अध्यक्ष आरती बाली ने आदेश मिलने की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हम राज्य भर के नर्सिंग स्टाफ के संपर्क में हैं और सभी ने सर्वसम्मति से विरोध जारी रखने का फैसला किया है।”
तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में लगभग 1,800 नर्सें कार्यरत हैं। प्रदर्शनकारी नर्सें, जो केंद्रीय वेतन आयोग के तहत जुलाई 2020 के बाद नियुक्त नियमित कर्मचारी हैं, सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि उनका वर्तमान वेतन 29,000 रुपये उनके कार्यभार के अनुरूप नहीं है, और वे 4,600 रुपये के वेतन ग्रेड की मांग कर रही हैं, जिससे यह बढ़कर 44,900 रुपये हो जाएगा।
इससे पहले जारी एक विज्ञप्ति में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के प्रधान सचिव ने कहा था कि 25 सितंबर से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण “ओपीडी, आईसीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू, ओटी, ऑपरेशन के बाद की देखभाल और वार्ड प्रबंधन सहित आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है।”
राजिंदरा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विशाल चोपड़ा ने बताया कि 900 से ज़्यादा नर्सिंग स्टाफ़ में से लगभग 600 सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “वरिष्ठ नर्सों, इंटर्न, जूनियर रेजिडेंट और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की मदद से कार्यभार का प्रबंधन किया जा रहा है।”
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