सोमवार को किसान मजदूर मोर्चा द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में किसानों और मजदूरों ने हिस्सा लिया। उन्होंने फसल और बाढ़ मुआवजे के संबंध में तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए केंद्र और पंजाब सरकार के पुतले भी फूँके।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि राज्य के 19 जिलों में 112 जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य बाढ़ से हुई फसलों के नुकसान के बाद किसानों के सामने आ रही समस्याओं को उजागर करना था। पंधेर ने क्षतिग्रस्त धान की फसलों के लिए 70,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे की मांग की। पशुधन, पोल्ट्री फार्म और क्षतिग्रस्त घरों के नुकसान के लिए भी पूर्ण मुआवजे की मांग की गई।
किसान नेताओं ने धान की पराली जलाने पर किसानों को दंडित करने और फसल नुकसान के लिए न्यूनतम मुआवज़ा देने के लिए सरकार की आलोचना की। पंधेर ने कहा, “किसान मनोरंजन के लिए पराली नहीं जलाते। सरकार को या तो पराली के निपटान की उचित व्यवस्था करनी चाहिए या फिर पराली प्रबंधन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल या 6,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता देनी चाहिए।”
उन्होंने मांग की कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को तत्काल राहत दी जाए, गन्ने का भुगतान शीघ्र किया जाए और गेहूं, बासमती और अन्य फसलों की उचित मूल्य पर खरीद की जाए। नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बांधों से पानी छोड़े जाने की न्यायिक आयोग द्वारा जाँच की जाए और भविष्य में इस तरह के नुकसान को रोकने के उपाय किए जाएँ।
विरोध प्रदर्शन में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि पराली जलाने पर किसानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भेदभावपूर्ण है। पंधेर ने कहा कि 94 प्रतिशत प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक क्षेत्रों पर लगाम नहीं लगाई जा रही है, जबकि किसानों को जुर्माने और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि उनके खेत साल भर ऑक्सीजन और भोजन पैदा करते हैं।
विरोध प्रदर्शन में बीकेयू एकता आज़ाद, बीकेयू क्रांतिकारी, किसान मजदूर संघर्ष समिति, बीकेयू दोआबा, किसान मजदूर हितकारी सभा, बीकेयू भटेडी और भारती किसान मजदूर यूनियन सहित किसान समूह और यूनियन शामिल थे।
Leave feedback about this