गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में, एनजीओ इको सिख ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के सहयोग से बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह के “बाज” (उत्तरी गोशावक) को पुनर्जीवित करने और पुनर्वास करने की योजना की घोषणा की ।
2015 में, सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर घोषणा की थी कि उत्तरी गोशावक राज्य पक्षी है, जिसमें 15 मार्च 1989 की अधिसूचना में विसंगति को सुधारा गया था। बाद में पूर्वी गोशावक को आधिकारिक पक्षी घोषित किया गया था।
इकोसिख के वैश्विक अध्यक्ष डॉ. राजवंत सिंह ने कहा, “चूँकि यह पक्षी विलुप्त होने के कगार पर है, इसलिए हमारे पास इसके पुनरुद्धार के लिए एक बड़ी योजना है । हमारा उद्देश्य ‘बाज’ और शाहीन बाज, जो एक अन्य बाज़ प्रजाति है, का पुनर्वास करना है ।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महान गुरु का यह महत्वपूर्ण प्रतीक और पंजाब का आधिकारिक राज्य पक्षी अब आवास के नुकसान, अवैध व्यापार और प्रदूषण के कारण राज्य के आसमान से गायब हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि एनजीओ छत्तबीर चिड़ियाघर में ‘‘बाज’’ का प्रजनन केंद्र स्थापित करने के लिए बातचीत कर रहा है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक धरमिंदर शर्मा ने कहा, “जब भी ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, हम उसे राज्य सरकार के पास भेजते हैं। हम इस पक्षी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पंजाब के छतबीर चिड़ियाघर में एक बाज़ प्रजनन केंद्र है, लेकिन वहाँ कोई ‘बाज़’ नहीं है। जुलाई 2011 में, विभाग ने लाहौर चिड़ियाघर के साथ बाज़ों के आदान-प्रदान का प्रस्ताव तैयार किया था। हालाँकि, कूटनीतिक मुद्दों के कारण यह योजना अमल में नहीं आ सकी।
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