हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला जिले के ठियोग के रहीघाट गांव के निवासी विजेंद्र सिंह वर्मा के पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया है और इसे जनहित याचिका (पीआईएल) माना है।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि वैकुंठ हॉस्पिटैलिटीज़ प्राइवेट लिमिटेड, चंबा, पर्यावरण और भूमि उपयोग के नियमों का उल्लंघन करते हुए लगभग 35 बीघा बाग़ की ज़मीन पर एक होटल का निर्माण कर रही है। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और वैकुंठ हॉस्पिटैलिटीज़ प्राइवेट लिमिटेड को भी मामले में प्रतिवादी बनाया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह पक्षकारों के ज्ञापन में आवश्यक सुधार करे।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि पहुँच मार्ग बनाने के लिए वनभूमि पर अतिक्रमण और खुदाई की गई है और लगभग 60 पूर्ण विकसित देवदार और चीड़ के पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया गया है, जबकि आधिकारिक अनुमति केवल तीन देवदार के पेड़ों को काटने की थी। यह भी बताया गया है कि निर्माण स्थल से निकलने वाले मलबे को अनधिकृत स्थानों पर फेंका जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
अब यह मामला 22 नवंबर को वनभूमि पर कथित अतिक्रमण और पर्यावरण उल्लंघनों के संबंध में आगे विचार के लिए आगे बढ़ेगा।
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