पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि ज़मीन का मालिकाना हक़ अदालतों में तय होता है, न कि खेतों में तलवारों की खनक या आग्नेयास्त्रों की गूँज से। न्यायमूर्ति नमित कुमार ने आगे कहा कि जिस क्षण कोई व्यक्ति कानून अपने हाथ में ले लेता है, “वह उसकी तलाश करना बंद कर देता है।”
न्यायमूर्ति नमित कुमार ने कहा कि जमीन पर जबरन कब्जा करने के लिए हथियारों से लोगों पर हमला करना “पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य में अनुमति नहीं दी जा सकती”।
यह बात तब कही गई जब पीठ ने विवादित संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने के कथित प्रयास के बाद दर्ज हत्या के प्रयास के एक मामले में अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि अगर इस आचरण पर अंकुश नहीं लगाया गया तो इससे कानून का शासन और न्यायिक प्रणाली में लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा।
पीठ ने कहा, “यदि इस प्रकार के कृत्य, जिसमें व्यक्ति हिंसा और धमकी के माध्यम से विवादित संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने का प्रयास करते हैं, से दृढ़ता से नहीं निपटा जाता है, तो यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और बड़े पैमाने पर समाज को एक प्रतिकूल संदेश देगा, जिससे कानून के शासन और न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को कमजोर किया जा सकेगा।”
न्यायमूर्ति नमित कुमार को बताया गया कि यह मामला लुधियाना के दोराहा पुलिस थाने में बीएनएस और शस्त्र अधिनियम के तहत 9 अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ है।
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