पंजाब पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने कथित तौर पर पूर्व सहायक महानिरीक्षक (एआईजी) रछपाल सिंह को 2017 के एक लंबे समय से लंबित मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया है।
जालंधर एएनटीएफ यूनिट ने यह गिरफ्तारी की। पुलिस ने स्थानीय अदालत से उसकी रिमांड हासिल कर ली है। हालाँकि, अधिकारियों ने अभी तक इस संबंध में कोई औपचारिक पुष्टि करने से परहेज किया है।
सूत्रों ने बताया कि मामला 3 अगस्त, 2017 का है, जब बलविंदर सिंह को अमृतसर के तत्कालीन विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने सिविल अस्पताल पट्टी से उठाया था और बाद में उसके खिलाफ मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कथित तौर पर उसके पास एक किलो हेरोइन रखी और उस पर पाकिस्तान से यह प्रतिबंधित सामान लाने का आरोप लगाया। इस मामले में तीन अन्य लोग भी शामिल थे।
इसके बाद बलविंदर सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपने खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करने के बाद स्वतंत्र जांच की मांग की। बाद की जांच में कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और सीसीटीवी फुटेज से विसंगतियां सामने आईं।
नवंबर 2019 में, उच्च न्यायालय ने तत्कालीन डीजीपी (जांच ब्यूरो) प्रमोद बान को जाँच करने का निर्देश दिया। दिसंबर 2020 में प्रस्तुत डीजीपी के निष्कर्षों में कॉल डेटा, सीसीटीवी फुटेज और स्थान का विवरण शामिल था, जिससे 2017 के ऑपरेशन की प्रामाणिकता पर सवाल उठे।
जनवरी 2021 में, विसंगतियाँ सामने आने के बाद, उच्च न्यायालय ने मामले की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। जाँच में पाया गया कि गुरजंत सिंह उर्फ सोनू से एक किलो हेरोइन ज़ब्त की गई थी, लेकिन उसे बलविंदर सिंह से ज़ब्त दिखाया गया। गुरजंत सिंह को कथित तौर पर रिहा कर दिया गया, जबकि बलविंदर सिंह को मनगढ़ंत सबूतों के आधार पर फँसाया गया।


Leave feedback about this