November 3, 2025
Entertainment

लक्ष्मीकांत शांताराम कुडालकर: लता मंगेशकर की वजह से भारतीय सिनेमा को मिली थी संगीतकारों की सबसे सफल जोड़ी

Laxmikant Shantaram Kudalkar: Lata Mangeshkar gave Indian cinema its most successful music composer duo.

भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और सफल संगीतकार जोड़ी की बात होती है तो लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का नाम तुरंत जेहन में आ जाता है। इस जोड़ी ने अपने संगीत से करीब चार दशकों तक बॉलीवुड पर राज किया। अपने संगीत के बदौलत 1964 में आई फिल्म “दोस्ती” ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। इस फिल्म के गीत “चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे” और “राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है” को कौन भूल सकता है?

हम बात कर रहे हैं दिवंगत लक्ष्मीकांत शांताराम कुडालकर की, जिनका जन्म 3 नवंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने 500 से ज्यादा फिल्मों में संगीतकार और गीतकार के तौर पर काम किया, लेकिन उन्हें प्रसिद्धि संगीतकार प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करने के बाद ही मिली।

बचपन में पिता के निधन के बाद गरीबी और कर्ज की वजह से छोटी उम्र में ही उनके कंधों पर घर संभालने का बोझ आ गया। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर बाल कलाकार के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। परिवार के लिए पैसे कमाने थे, तो उन्होंने वाद्य यंत्र खरीदने का विचार किया। वाद्य यंत्र खरीदने के साथ उन्होंने 2 साल तक हुसैन अली से उसे बजाना सीखा और अपने हुनर को निखारते हुए बेहतरीन संगीत का निर्माण किया।

संगीतकार लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की मुलाकात का किस्सा भी अनूठा है। दोनों की मुलाकात प्रतिष्ठित भारतीय सिंगर लता मंगेशकर की वजह से हुई थी। दरअसल कोलाबा के रेडियो क्लब में पहली बार लक्ष्मीकांत ने लता मंगेशकर को देखा था। क्लब में लक्ष्मीकांत ने भी अपनी प्रस्तुति से सबको प्रभावित किया। लता मंगेशकर भी लक्ष्मीकांत से बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने सुरील कला केंद्र में उनका दाखिला करा दिया। सुरील कला केंद्र का संचालन लता जी का परिवार ही करता था, जो गरीब बच्चों को संगीत की शिक्षा प्रदान करता है।

इसी केंद्र में पहली बार लक्ष्मीकांत की मुलाकात प्यारेलाल के साथ हुई। 12 साल की उम्र से लक्ष्मीकांत ने म्यूजिक कंपोज करना शुरू कर दिया था और 10 साल की उम्र में प्यारेलाल भी उनके साथ थे। दोनों ने ही छोटी उम्र से साथ काम किया और यंग एज तक आते-आते दोनों ने कई हिट गाने और सुरीले म्यूजिक से हिंदी सिनेमा को नवाजा। दोनों की हिट जोड़ी ने लगभग 750 गानों में संगीत दिया और लिरिक्स भी लिखे।

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