November 14, 2025
National

कोरिया की प्रमुख शिपिंग कंपनियों के सीईओ से मिले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी

Union Minister Hardeep Singh Puri met CEOs of major shipping companies of Korea.

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने कोरिया की प्रमुख शिपिंग कंपनियों के सीईओ के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री पुरी और कोरिया की प्रमुख कंपनियों के प्रमुखों के बीच इस विषय को लेकर चर्चा हुई कि एनर्जी और शिपिंग किस प्रकार एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में अभिन्न अंग के रूप में महत्वपूर्ण बने हुए हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आज कोरिया की प्रमुख शिपिंग कंपनियों के प्रमुखों के साथ एक बेहद उपयोगी बैठक हुई। मेरी कोरिया ओशन बिजनेस कॉर्पोरेशन (केओबीसी) के सीईओ एन ब्युंग गिल, एसके शिपिंग के सीईओ किम सुंग इक, एच-लाइन शिपिंग के सीईओ सियो म्युंग द्यूक और पैन ओशियन के वाइस प्रेसिडेंट सुंग जे योंग से मुलाकात हुई।”

केंद्रीय मंत्री पुरी ने इस बैठक को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि हमने चर्चा की कि कोरिया की एडवांस शिपबिल्डिंग टेक्नोलॉजी और भारत का मैन्युफैक्चरिंग बेस और कम प्रोडक्शन लागत किस प्रकार साथ मिलकर एक पारस्परिक रूप से लाभकारी पार्टनरशिप को लीड कर सकते हैं, जो कि शिप को लेकर हमारी बढ़ती घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ ग्लोबल जरूरतों को भी पूरा करने में अहम होगी।

उन्होंने एक्स पर भारत को लेकर कहा कि हमारा 150 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का क्रूड और गैस आयात समुद्री मार्ग से होता है, जो कि हमारी एनर्जी और शिपबिल्डिंग वेसल की मांग के एक बड़े पैमाने को दर्शाते हैं।

इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि ऑयल और गैस सेक्टर अकेले भारत के कुल व्यापार में वॉल्यूम को लेकर लगभग 28 प्रतिशत का योगदान देते हैं, जो कि इसे हमारे पोर्ट पर एक सिंगल लार्जेस्ट कमोडिटी बनाता है। बावजूद इसके इस कार्गो के केवल 20 प्रतिशत को भारतीय ध्वज वाले या भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों पर ले जाया जाता है।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने लिखा, “भारत की क्रूड ऑयल, एलपीजी, एलएनजी और ईथेन को लेकर मांग तेजी से बढ़ रही है। अकेले ओएनजीसी को लेकर अनुमान है कि इसे 2034 तक 100 ऑफोशोर सर्विस और प्लेटफॉर्म सप्लाई वेसल की जरूरत होगी। कुल मिलाकर यह दिखाता है कि ग्लोबल लीडर्स के साथ पार्टनरशिप कर भारत में ही शिप बनाना हमारी अहम जरूरत क्यों बनी हुई है।”

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