रोपड़ से आप विधायक दिनेश चड्ढा ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अपने क्षेत्राधिकार में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए नई पंजाब राज्य खनन नीति-2025 को लागू करने का अनुरोध किया है। द ट्रिब्यून में प्रकाशित अवैध खनन संबंधी खबरों का हवाला देते हुए, चड्ढा ने रोपड़ के उपायुक्त (डीसी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में तत्काल कार्रवाई और नीति को सख्ती से लागू करने की मांग की है।
अपने पत्र में, चड्ढा ने कहा है कि हाल ही में एक अंग्रेज़ी अख़बार में छपी खोजी रिपोर्टों में रोपड़ ज़िले में देर रात नदी के किनारों पर खुदाई करने वाली मशीनें और टिप्पर चलते हुए दिखाए गए हैं। उन्होंने ज़िला अधिकारियों की सतर्कता पर सवाल उठाते हुए लिखा, “अगर अख़बार और चैनल इतनी खुलेआम फुटेज दिखा सकते हैं, तो प्रशासन अनभिज्ञता का दावा कैसे कर सकता है?”
चड्ढा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने इस साल जुलाई में खनन नीति-2025 लागू की थी, जिसका उद्देश्य खनन कार्यों को पूरी तरह से नियमित करना और ढीली निगरानी के कारण पनप रहे अवैध ढाँचों को खत्म करना था। अब नीतिगत ढाँचे से किसी भी तरह का विचलन केवल प्रशासनिक चूक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे प्रवर्तन के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों की जानबूझकर की गई लापरवाही माना जाना चाहिए।
विधायक ने मांग की है कि अगर खनन निर्धारित समय या स्वीकृत स्थलों के बाहर होता है, तो संबंधित अधिकारियों की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “सरकार ने एक पारदर्शी, तकनीक-आधारित व्यवस्था बनाई है। अगर फिर भी अवैध खनन होता है, तो यह स्थानीय प्रवर्तन की गंभीरता पर सवाल उठाता है।”
चड्ढा ने डीसी और एसएसपी से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि खनन निरीक्षकों से लेकर एसएचओ रैंक के अधिकारियों और गश्ती दलों तक हर स्तर के अधिकारियों को उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में पाए गए किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
उन्होंने आगे लिखा कि व्यापक नीति के बावजूद अनधिकृत खनन जारी रहना जिला प्रशासन की छवि को खराब करता है और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए। पंजाब राज्य खनन नीति-2025 को जुलाई 2025 में मंजूरी दी गई थी। इसकी प्रमुख विशेषताओं में पर्यावरणीय आकलन के आधार पर खनन ब्लॉकों का वैज्ञानिक सीमांकन शामिल है ताकि खनन से नदी तल या आसपास की पारिस्थितिकी को नुकसान न पहुंचे।
इसमें गुटबाजी को रोकने तथा ठेकेदारों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सभी खनन स्थलों की ई-नीलामी का आह्वान किया गया है।
इसमें खनन सामग्री की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए टिपर, उत्खनन मशीनों और सभी परिवहन वाहनों की जीपीएस-सक्षम ट्रैकिंग शामिल है। नीति में रात्रिकालीन खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, सिवाय उन दुर्लभ मामलों के जिन्हें सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिखित अनुमति के तहत अनुमोदित किया गया हो। इसमें चौबीसों घंटे निगरानी के लिए खनन और लदान बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रावधान है। नीति में प्रत्येक खेप के लिए डिजिटल ट्रांजिट पास की एक प्रणाली लागू की गई है, जो स्वतः उत्पन्न होगी और रॉयल्टी भुगतान से जुड़ी होगी, जिससे जाली दस्तावेजों और चोरी को रोका जा सकेगा। नीति में अवैध खनन में शामिल या उसका समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए खनन अनुबंधों को रद्द करने और एफआईआर दर्ज करने सहित कठोर दंड का प्रावधान है।


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