November 19, 2025
Punjab

बाढ़ और बारिश के कारण गेहूं की बुआई में देरी, किसानों को देर से पकने वाली किस्मों की बुआई करने को कहा गया

Floods and rains have delayed wheat sowing, prompting farmers to sow late-maturing varieties.

विनाशकारी बाढ़ और लगातार बारिश के कारण इस साल गेहूं की बुवाई में देरी हुई है। गेहूं की बुवाई के लिए आदर्श समय 15 नवंबर तक था, लेकिन गेहूं की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले 4.85 लाख हेक्टेयर कम रहा विभाग से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अभी तक गेहूं का रकबा मात्र 30.14 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले रबी सीजन में यह रकबा 35 लाख हेक्टेयर था।

गेहूं की बुवाई में देरी के लिए विभिन्न कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें नदियों के उफान से खेतों में गाद का जमा होना, 5,300 एकड़ से अधिक भूमि का बह जाना तथा दक्षिण मालवा में कपास की कटाई में देरी शामिल है। यह चिंता का प्रमुख कारण है, न केवल इसलिए कि इससे किसानों की आजीविका और अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि इसलिए भी कि इससे खाद्यान्न के केन्द्रीय भंडार में राज्य का समग्र योगदान प्रभावित होता है।

चिंतित कृषि विभाग ने किसानों को गेहूं की कई देर से बोई जाने वाली किस्मों की सिफारिश की है, ताकि राज्य का समग्र गेहूं उत्पादन प्रभावित न हो।

विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “पीबीडब्ल्यू आरएस1 और पीबीडब्ल्यू उन्नत 550 की बुवाई नवंबर के अंत तक की जा सकती है, जबकि पीबीडब्ल्यू 771 और पीबीडब्ल्यू 752 की बुवाई दिसंबर के अंत तक की जा सकती है। हमने एक और किस्म – पीबीडब्ल्यू 757 – की भी सिफ़ारिश शुरू कर दी है, जिसकी बुवाई 15 जनवरी तक की जा सकती है। जो किसान अभी तक फसल नहीं बो पाए हैं, वे इन किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। हमें पूरा विश्वास है कि अगर किसान इन देर से बोई जाने वाली किस्मों की बुवाई शुरू कर दें, तो गेहूँ के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”

यद्यपि राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों को मुफ्त बीज उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन उनका आरोप है कि बीज बुवाई का समय समाप्त होने के बाद पहुंचे। आरोपों को खारिज करते हुए कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि सभी पात्र किसानों को समय पर मुफ्त बीज मिले।

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