भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार से शुरू हो रही है। इस तीन दिवसीय बैठक में प्रमुख नीतिगत दर पर फैसला शुक्रवार को सामने आएगा। आरबीआई एमपीसी की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब मुद्रास्फीति ऑल-टाइम लो पर बनी हुई है और जीडीपी ग्रोथ की गति तेज बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
इसके अलावा, इस वर्ष अक्टूबर में मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है, जो इकोनॉमी के मजबूत फंडामेंटल और प्रभावी प्राइस मैनेजमेंट उपायों को दिखाती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, “मौद्रिक नीति फॉरवर्ड लुकिंग होती है और चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 27 में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से अधिक बनी रहने की संभावना है, जिससे रियल रेपो रेट 1-1.5 प्रतिशत के बीच रहेगी। क्योंकि पॉलिसी रेट फेयर लेवल पर दिख रही है। ऐसे में इन परिस्थितियों में हमें नहीं लगता कि नीतिगत दर में कोई बदलाव होना चाहिए।”
इसी तरह, एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिनों पहले तक रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीदें लग रही थीं, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मजबूत जीडीपी आंकड़े और बदलते परिदृश्य को देखते हुए दिसंबर में नीतिगत दरों में किसी भी तरह के बदलाव की स्थिति नजर नहीं आती।
एसबीआई का मानना है कि आरबीआई को यील्ड पर संयमित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए लिक्विडिटी उपायों के जरिए तटस्थ रुख के साथ कैलिब्रेटेड ईजिंग सुनिश्चित करनी पड़ सकती है।
मुद्रास्फीति निकट भविष्य में लक्ष्य से काफी नीचे रहने वाली है इसलिए एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का अनुमान है कि आरबीआई 5 दिसंबर को अपने एमपीसी के फैसले के साथ रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट वर्तमान के 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी।


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