December 10, 2025
National

‘सरकार अभी तक चुनाव सुधार की दिशा में नहीं सोच रही’, विपक्ष के सांसदों ने निर्वाचन आयोग पर भी सवाल उठाए

“The government is still not thinking about electoral reforms,” ​​opposition MPs questioned the Election Commission.

देश में चुनाव सुधार के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इसी क्रम में बुधवार को विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाए कि सरकार अभी तक चुनाव सुधार की दिशा में नहीं सोच रही है। उन्होंने चुनाव आयोग के ऊपर भी सवाल खड़े किए। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि चुनाव सुधार का विषय बहुत अहम है। पिछले मानसून सत्र में पूरी चर्चा इसी मुद्दे पर थी। हमें उम्मीद थी कि सरकार चुनावी सुधारों के साथ तैयार होकर आएगी और सदन में एक अच्छा प्लान पेश करेगी, लेकिन सरकार अभी तक इस दिशा में नहीं सोच रही है।

उन्होंने कहा, “नागरिकों के वोट अधिकार की रक्षा करने, चुनाव आयोग के निष्पक्ष संस्था के रूप में काम करने और ईमानदारी से प्रक्रिया के तहत डिजिटल मतदाता सूची बनाने के लिए सुधार किए जाने चाहिए। सरकार से आज भी उम्मीद है कि वह चुनाव सुधार पर बात करे, लेकिन ये लोग अभी तक पीछे के इतिहास में ही लगे हैं।”

मणिकम टैगोर ने कहा कि सरकार राहुल गांधी के सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है। सदन में राहुल गांधी के बाद कानून मंत्री ने जवाब दिया, लेकिन उन्होंने अहम मुद्दों को छोड़कर बाकी बातों पर भाषण दिया। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आनंद भदौरिया ने कहा कि चुनाव सुधारों पर अखिलेश यादव ने जरूरी बातें उठाई हैं। सरकार को उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए और चुनाव आयोग को जरूरी सुधार लागू करने का निर्देश देना चाहिए। कुल मिलाकर चुनाव प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आम आदमी को संदेह होगा तो कहीं न कहीं सवाल उठेंगे ही। राहुल गांधी भी चुनाव सुधार के मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को भी लोकसभा में महत्वपूर्ण सवाल उठाए। इस पर सरकार की ओर से भी ठोस पहल करने का यह समय है।”

सीपीएम के सांसद विकास भट्टाचार्य ने भी चुनाव सुधारों की बात की। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग पूरी तरह विफल रहा है। आयोग की जो जिम्मेदारी होती है, उसे पूरी तरह निभा नहीं पाया है।”

उन्होंने कहा कि आयोग ने एसआईआर के आधार पर हंगामा खड़ा किया है। बीएलओ की ट्रेनिंग सही नहीं है। उनके ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी दी गई है, जिसे वह पूरा करने के लिए भी सक्षम नहीं हैं। इसलिए कई जगह बीएलओ ने खुदकुशी की। इसके बारे में चुनाव आयोग को सोचना चाहिए।

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